यार मोहम्मद खान/ मुंबई। आजादी के बाद से अब तक देश के हर राज्य में कई सरकारें आयीं और गयीं लेकिन सरकारी अस्पतालों की हालत में कोई सुधार नहीं आया, अलबत्ता उनकी हालत दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है। जबकि इन अस्पतालों पर सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं। इसके बावजूद ज्यादातर गरीब और जरूरतमंद मरीजों को इन अस्पतालों में इलाज कराने के दौरान कर्जदार होकर जाना पड़ता है। बता दें कि अकसर मरीज यहां यह सोच कर आते हैं कि सरकारी अस्पतालों में नाम मात्र के खर्च में इलाज हो जाएगा। लेकिन उनका यह भ्रम यहां आकर उस वक्त टूट जाता है जब छोटी – मोटी जांच के लिए इन्हें निजी पैथलॉजी सेंटर या नर्सिंग होम भेजा जाता है।
मुंबई के सरकारी अस्पतालों में जे जे अस्पताल सबसे बड़ा माना जाता है। यहां हर तरह की जांच के लिए करोड़ों रुपये की बड़ी – बड़ी मशीने हैं। खून की जांच के लिए भी कई पैथोलोजिकल लैब हैं। इसके बाद भी छोटी – बड़ी जांच के लिए मरीजों को बाहर भेजा जाता है, इसे विभिन्न सामाजिक संस्थाआं ने शर्मनाक बताया है। खून आदि की जांच के लिए जे जे अस्पताल के आसपास कई निजी लैब हैं। जे जे अस्पताल के डॉक्टर खून की जांच के लिए मरीजों को वहीं भेजते हैं। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि जे जे के डॉक्टरों की इन नर्सिंग होम और लैब से मिली भगत होती हैं।
डॉक्टरों को इसके बदले अच्छा खासा कमीशन मिलता है। यही वजह है कि अस्पताल में जांच की सुविधा होने के बावजूद ज्यादातर मरीजों को जांच के लिए बाहर भेजा जाता है। थायरॉइड जैसी बीमारी आज के समय आम हो गयी है। इससे पीड़ित कई लोग जे जे अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं, लेकिन थायरॉइड की जांच यहां कभी नहीं हो पाती है। यहां थायरॉइड की जांच के लिए मशीन तो है लेकिन वह हमेशा बंद रहती है। जिसके चलते मरीज को मजबूरन इसकी जांच बाहर से करानी पड़ती है। कुछ ऐसी ही स्थिति डेंगू की जांच की भी है, यहां किसी किस्मतवाले की ही हो पाती है।
यहां डेंगू जांच की भी सुविधा है लेकिन ज्यादातर मरीजों की जांच बाहर से ही कराई जाती है। डेंगू की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाये जाते हैं जिस पर करोड़ों रुपये फूंके जाते हैं। ताज्जुब इस बात का है कि इसकी जांच तक की सुविधा सरकारी अस्पतालों में हर वक्त मुहैया नहीं होती। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी अस्पताल के आला अफसरों और स्वास्थ्य मंत्रालय को नहीं होती, वे सिर्फ आश्वासन का डोज पिलाते रहते हैं। हालांकि सरकार द्वारा कई बार घोषनाएं की गई कि सरकारी अस्पतालों के मरीजों को खून या किसी तरह की छोटी – बड़ी जांच के लिए बाहर नहीं जाना पडेगा। लेकिन घोषणाबाजी करने वालों ने कभी इस बात की सुध नहीं ली कि जे जे अस्पताल के आसपास निजी पैथोलोजिकल लैब कुकुरमुत्तों की तरह कैसे फ़ैल गए हैं।
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