साभार/ मुंबई। पेट्रोल पंप पर तेल के खेल को रोकने के लिए नई ऑडिट प्रणाली का प्रयोग शुरू हो चुका है। लीगल मेट्रोलॉजी विभाग के नियंत्रक अमिताभ गुप्ता ने इसके बाद कम तेल देने की समस्या से छुटकारा मिलने की उम्मीद जताई है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के हजारों पेट्रोल और डीजल पंपों में कम तोल और वजन की समस्या आम है और सरकारी एजेंसियां इसे रोकने में विफल रही हैं। हालांकि वे समय-समय पर इसके लिए सिस्टम को दुरुस्त जरूर करती हैं, हर साल डिस्पेंसिंग यूनिटों को केलिबरेटेड भी किया जाता है। अब महाराष्ट्र में मौजूदा ऑडिट रिपोर्ट की नई प्रणाली लागू करने का निर्णय किया है।
गुप्ता के अनुसार, नई प्रणाली में डिस्पेंसिंग यूनिटों के सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयरों को शामिल किया गया है। साथ ही इस रिपोर्ट पर तेल कंपनी, डिस्पेंसिंग यूनिट के डीलर और डिस्पेंसिंग यूनिट बनाने वाले के हस्ताक्षर होंगे। इस ऑडिट को पूरा करने के बाद ही डिस्पेंसिंग यूनिटों की स्टैंपिंग होगी, नई प्रणाली 1 सितंबर से शुरू हो चुकी है।
उन्होंने यह भी बताया कि यह आम शिकायत थी कि प्रति लीटर 25 से 200 मिलीलीटर पेट्रोल-डीजल कम तोला जा रहा है और इसके लिए पंप मालिक-कर्मचारी अनेक हथकंडों का सहारा ले रहे थे और अरबों रुपया बना रहे थे। यह लॉबी इतनी ज्यादा मजबूत है कि सरकार के इन उपायों को पंप मालिकों का सहयोग नहीं मिल रहा था। लेकिन गुप्ता का कहना है कि अब वे नई ऑडिट प्रणाली को अपनाने के लिए सहमत हो गए हैं।
गुप्ता ने यह भी बताया कि पेट्रोलियम उत्पादों की डीलर अब तक जो स्टैंडर्ड उपकरण अपना रहे थे वे धातु के बने हुए थे लेकिन अब उन्हें कांच के बने हुए उपकरणों को अपनाने को कहा गया है ताकि विभाग द्वारा नकार दिए जाने के बाद इन उपकरणों का दुबारा इस्तेमाल न हो सके। सरकार ने अब सभी तेल कंपनियों से कहा है कि वे पौटेड पलसर अपनाएं ताकि उनके साथ छेड़छाड़ न हो सके। महाराष्ट्र सरकार ने पेट्रोलियम मंत्री धमेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर कहा है कि वे इन उपायों को अपनाने के लिए सभी पेट्रोलियम कंपनियों को निर्देश दें।
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