मुंबई। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (मनपा) का सालाना बजट भारत के कई राज्यों के वार्षिक बजट से भी ज्यादा माना जाता है। इसी की वजह से मनपा के चुनावों को लेकर काफी सक्रियता देखने को मिलती है। वर्ष 2016-17 में बीएमसी का बजट 37,052 करोड़ रुपये का था लेकिन साल 2017-18 में इसमें तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये की कटौती देखने को मिली। खबरों की मानें तो भारत के 16 राज्यों के वार्षिक बजट की अपेक्षा मनपा का बजट ज्यादा होता है। इन राज्यों में ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और झारखंड, उत्तराखंड समेत कई अन्य राज्य शामिल हैं।
बता दें कि जनवरी माह के आखिरी हफ्ते में वर्ष 2017-18 के मद्देनजर संपत्ति कर 3,320 करोड़ रुपये इकट्ठा किया गया था जबकि लक्ष्य 5,200 करोड़ रुपये का रखा गया था। पिछले वित्त वर्ष में जनवरी तक बृहन्मुंबई महानगर पालिका (मनपा) ने तकरीबन 3,380 करोड़ रुपये की संपत्ति कर से कमाए थे।
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, विकास योजना विभाग के द्वारा राजस्व वर्ष 2014-15 में 5,171 करोड़ रुपये था जबकि 2015-16 में 4,977 करोड़ और 2016-17 में 4,339 करोड़ इकट्ठा किए गए थे। रियल एस्टेट में सुस्ती और कई निर्माण कार्यों पर हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक के बाद मनपा ने 3,112 करोड़ रुपये की कमाई की। हालांकि, वर्ष 2017-18 में लक्ष्य 4,964 करोड़ रुपये का था। चालू वित्त वर्ष में मनपा की कमाई में खासा असर देखने को मिला है।
बता दें कि मनपा देशभर की निकाय इकाइयों में से आर्थिक दृष्टि को देखते हुए सबसे मजबूत मानी जाती है। वर्ष 2017-2018 में इसका बजट 25,141 करोड़ रुपये का रखा गया यानी 2016-17 के 37,052 करोड़ रुपये के बजट में से सीधे तौर पर 10 हजार करोड़ रुपये की गिरावट हुई। नागरिकों और कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि बीएमसी न्यापूर्वक और पूर्णरूप से आवंटित धन का इस्तेमाल करती है। खासतौर पर सड़क जैसे महत्वपूर्ण विभागों के लिए प्रयोग किया जाता है। अप्रैल 2015 में चार्ज संभालने के बाद अजॉय मेहता का यह तीसरा बजट है। यह बजट उनका आखिरी बजट भी माना जा रहा है। 2019 के लिए मनपा बजट शुक्रवार को पेश किया जाएगा।
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