साभार/ मुंबई। लगभग 150 से भी ज्यादा साल तक मुबंई सबअर्बन रेल नेटवर्क को चलाने वाले मैन्युअल रोस्टरिंग सिस्टम को जल्द ही अलविदा कह दिया जाएगा। वेस्टर्न रेलवे की इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के छात्रों की मदद से क्रू डिवेलपमेंट सिस्टम बनाने की योजना है जो सबर्अबन ट्रेन ऑपरेशन के लिए रोस्टर तैयार करेगा।
सबअर्बन रेलवे की शुरुआत से लेकर अभी तक इस व्यवस्था में कई बदलाव आए हैं। सेवाएं बढ़ी हैं और लोगों की संख्या भी लेकिन अगर कुछ नहीं बदला था तो वह था रोस्टर बनाने का तरीका। मेहनत और जटिल प्रक्रिया के बाद मैन्युअली रोस्टर बनाया जाता था। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि पूरे साल का रोस्टर मोटरमैन और गार्ज कमिटी से बात करके बनाया जाता है। इसमें करीब तीन महीने लगते हैं। लोगों को हर दिन चलने वाली 1355 सेवाओं में लगाया जाता है। उनका रेस्टिंग पीरियड भी देखना होता है।
रेलवे के ऑपरेटिंग ऑफिसर शमित मोंगा ने आईआईटी की सेवाएं लेने का प्रस्ताव रेलमंत्री पीयूष गोयल के सामने रखा था। बताया गया है कि सारी दुनिया में सॉफ्टवेयर की मदद से रोस्टर बनाए जाते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि 1355 ट्रेनों के लिए 382 लिंक्स के सेट बनाए जाते हैं। हर सेट में ड्यूटी और गार्ड और मोटरमैन के लिए रेल लिंक लिखा होता है। हर दिन गार्ड या मोटरमैन के लिए ड्यूटी के औसतन घंटे 6.20 होते हैं जबकि औसतन दूरी 125 किलोमीटर।
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