अनिल गलगली। देश की प्रतिष्टित मुंबई प्रेस क्लब का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प रहा। धर्मेंद्र जोरे की अगुवाई वाली कमिटी को शत प्रतिशत सफलता नहीं मिली। गुरबीर सिंह के नेतृत्व में लड़ने वाले पैनल को ही मतदाताओं ने पसंद किया। दोनों पैनल के 8-8 उम्मीदवारों ने बाजी मारी। वर्तमान कमिटी के कोषाध्यक्ष की हार से अधिक वरिष्ट पत्रकार एवं पूर्व सांसद भारत कुमार राऊत की हार चुनाव का परिणाम उलटफेर करने वाली साबित हुई।
मुंबई प्रेस क्लब आज देश का बड़ा प्रतिष्टित क्लब है। पत्रकारों की समस्याओं से लेकर राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों से जुड़े, विषयों पर यहां परिचर्चा की जाती हैं। मुंबई प्रेस क्लब का 2016 में हुआ चुनाव एक तरफा हुआ था। पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भी क्लब का विकास और अन्य मुद्दों पर भटकने का आरोप लगाकर वरिष्ट सदस्य गुरबीर सिंह ने ताल ठोंकते ही वर्तमान कमिटी में हड़कंप मच गया।
क्योंकि गुरबीर सिंह ही 2016 के चुनाव में इस कमिटी के मार्गदर्शक थे। वैसे धर्मेंद्र जोरे के अलावा संतोष आंधले, अभिमन्यु शितोले, लता मिश्रा का निजी संपर्क से पहले गुरबीर सिंह के पैनल को किसी ने गंभीरता से लिया नहीं। लेकिन चुनाव के पूर्व हुई एजीएम बैठक 3 घंटे तक चली, इस बैठक में वर्तमान कमिटी की अच्छाईयों के साथ उनकी विफलताओं पर चर्चा हुई। वर्तमान कमिटी ने कई मुद्दों पर आत्मसर्मपण करते हुए उनसे हुई गलती को माना और भविष्य में उसमें सुधार का आश्वासन दिया। इस बैठक से ही संकेत गया कि चुनाव एक तरफा नहीं होगा और बड़ा उलटफेर हो सकता हैं।
स्क्रनीटी कमिटी से लेकर खाद्यपदार्थ की गुणवत्ता, सेवा की कमी, बिल्डिंग निर्माण, पत्रकारों की ओर देखने का अलग नजरिया और पत्रकारों को मदद का मुद्दा चुनाव में हावी रहा। वर्ष 2016 के चुनाव में गुरबीर हटाओ अभियान में जुटे उन सदस्यों को गुरबीर सिंह और उनके पैनल की जीत से गहरा सदमा लगा हैं। जो जीते उनका व्यक्तिगत जनसंपर्क काम आया और जो भी हारे उन्हें उस हार का चिंतन कर नए सिरे से क्लब के हित में काम करना चाहिए। ताकि हर हालात में क्लब का विकास हो सके। 31 जुलाई को कुल 1140 में से 694 सदस्यों ने मतदान किया।
इस बार के चुनाव में सबसे पहले पीटीआई के आनंद मिश्रा ने अपना मत दिया। चुनाव अधिकारी जतिन देसाई और उप चुनाव अधिकारी हाशिस शेख ने मुंबई प्रेस क्लब के स्टाफ की मदद से बिना कोई विवाद के माहौल में चुनाव प्रक्रिया को अंजाम दिलाया। इस चुनाव में गुरबीर सिंह 390 वोट लेकर प्रसिडेंट बने। भारत कुमार राऊत को 287 वोट मिले वहीं 18 वोट अवैध पाए गए। धर्मेंद्र जोरे ने 440 वोट पाकर चेयरमैन का चुनाव आसानी से जीता। विलास आठवले को 232 वोट मिले वहीं 24 वोट अवैध साबित हुए। वाईस चेयरमैन पद पर चंद्रमोहन यानी सीएम 304 वोट लेकर जीते। समर खडसे ने अच्छी लड़ाई लड़ी उन्हें 288 वोट मिले और संजीव कुमार शुक्ला को 71 वोट मिले। 31 वोट अवैध साबित हुए।
सबसे महत्वपूर्ण सचिव पद हैं जहां पर लता मिश्र को 396 वोट मिले वहीं कल्पना राणे को 270 वोट मिले। 28 वोट अवैध साबित हुए। आशीष राजे ने 374 वोट लेकर सह सचिव पद पर बाजी मारी। वही निलेश दवे को 282 वोट मिले। 37 वोट यहां भी बेकार साबित हुए। 2016 के चुनाव में लामबंदी के चलते पराजित वरुण सिंह ने वर्तमान कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश तिवारी को रोमांचक लड़ाई में पटखनी देते हुए 341 वोट हासिल किए। वहीं तिवारी को 319 वोट मिले। 34 वोट बेकार साबित हुए।
मैनिजिंग कमिटी में संतोष आंधले 447, मृत्युंजय बोस 419, प्रशांत नाडकर 382, प्रकाश अकोलकर 371, सचिन हरलकर 367, म्यूरेश गणपत्ये 318, प्रवीण काजरोलकर 316, अभिमन्यु शितोले 295, प्रशांत नाकवे 292 और कल्पना राणे 287 वोट लेकर जीते। करीब 18 वोट अवैध साबित हुए। मुंबई प्रेस क्लब का चुनाव भी हुआ और नतीजे भी आए। दोनों पैनल के जीते उम्मीदवारों को क्लब का विकास और आर्थिक स्थैर्य दिलाने के लिए मिलजुल कर काम करने की आवश्यकता हैं।
कई सारी चुनौतियां हैं लेकिन उसे पार करते हुए योजनाबद्ध तरीके से काम करना हर एक का नैतिक दायित्व और जिम्मेदारी हैं। इस चुनाव के फैसले से जीते हुए सदस्य खुश और हारे हुए लोग नाखुश हैं। यहां मुंबई प्रेस क्लब के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों से साप्ताहिक समाचार पत्रों के संवाददाओं ने सवाल किया है कि हम लोग पत्रकारों की गिनती में हैं या? साप्ताहिक समाचार पत्रों की बदौलत आज दर्जनों लोग दैनिक समाचर पत्र और टीवी चैनलों में काम करते हैं। ऐसे में मुंबई प्रेस क्लब के अध्यक्ष सहित अन्य सदस्यों को इस विषय पर विचार करना चाहिए।
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