मुंबई। मुंबई पुलिस के ‘100’ हेल्पलाइन पर प्रतिदिन करीब 50 हजार फोन कॉल आती हैं, जिसमें से 70 फीसदी या तो ब्लैंक कॉल होती है या फिर मिस्ड कॉल होती है। कॉलर आईडी फंक्शन से नंबर फौरन पता चल जाता है, लेकिन अधिकतर कॉलर गलती से डायल करने की बात कहते हैं।
सीनियर अधिकारी ने बताया कि मुंबई पुलिस को एक मोबाइल नंबर से एक हफ्ते के अंदर करीब 1000 कॉल रिसीव किया गया, लेकिन कॉल करने वाला खामोश रहता है। नंबर को ट्रैक करने पर पता चलता है कि फोन करने वाले के फोन में ही कोई दिक्कत है, जिस वजह से बिना उसे पता चले ही लगातार फोन डायल हो जाता है। एक अन्य कॉलर के बच्चे फोन डायल करते हैं। मलेशिया की तरह भारत में ऐसी हरकत पर सजा का प्रावधान नहीं है। हम यहां केवल चेतावनी दे सकते हैं।
मुंबई हेल्पलाइन के लिए 50 ऑपरेटर्स 8 घंटों की दो शिफ्टों में नौकरी करते हैं। ज्यादातर ऑपरेटर राज्य के आंतरिक हिस्सों से आते हैं। हेल्पलाइन कॉलर्स के नामों से डाटाबेस तैयार रखते हैं। एक नए सॉफ्टवेर की मदद से 100 डायल करने वाले हर कॉलर का लोकेशन भी ट्रेस कर लेते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि कॉल आने के बाद रिस्पॉन्स का समय 8 से 10 मिनट तक का है और इसे घटाकर 6 मिनट तक करने का लक्ष्य है। बीट मार्शलों को ट्रेन किया जा रहा है और पुलिस स्टेशनों पर और भी अधिक गाड़ियां मुहैया कराई जा रही है।
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