मुंबई। मुंबई में निजी कारों के घनत्व में पिछले दो सालों में 18 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही मुंबई देश का सबसे ज्यादा कार-घनत्व वाला शहर बन गया है। यहां हर एक किमी पर करीब 510 कारें हैं, जो दिल्ली से करीब पांच गुना ज्यादा है। दिल्ली में प्रति किमी कारों की संख्या 108 है। मुंबई के बाद पुणे का नंबर आता है, जहां प्रति किमी कारों की संख्या 359 है।
इनके अलावा कोलकाता में प्रति किमी 319 कारें, चेन्नै में प्रति किमी 297 कारें और बेंगलुरु में प्रति किमी 149 कारें हैं। ये सभी आंकड़े संबंधित राज्यों के परिवहन विभाग द्वारा इकट्ठे किए गए हैं। मुंबई में कारों का घनत्व इतना ज्यादा होने के पीछे एक वजह है रोड स्पेस की कमी। हैरानी की बात है कि मुंबई में निजी कारों की संख्या दिल्ली के मुकाबले एक तिहाई ही है। हालांकि मुंबई में उपलब्ध सड़कों की लंबाई दिल्ली के मुकाबले सिर्फ 7 फीसदी है। दिल्ली के 28 हजार किमी सड़क नेटवर्क के मुकाबले मुंबई में सिर्फ 2,000 किमी ही सड़क नेटवर्क है।
कारों की बढ़ती संख्या और रोड स्पेस की कमी के चलते मुंबई में आए दिन महत्वपूर्ण स्थानों पर जाम की हालत रहती है। महाराष्ट्र राज्य परिवहन विभाग के मुताबिक, कारों की बढ़ती संख्या के चलते सड़क पर अवैध पार्किंग और वायु प्रदूषण की समस्या भी उभरकर सामने आई है। परिवहन एक्सपर्ट अशोक दातर ने कहा, ‘मुंबई में पिछले कुछ सालों में कारों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है और अगर इस पर समय रहते काबू नहीं पाया गया या कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो मुंबई की सड़कों पर चलना एक भयानक सपने जैसा हो जाएगा।’
महाराष्ट्र परिवहन मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, 2016 में मुंबई में कारों का घनत्व जहां प्रति वर्ग किमी 430 था, वह अब बढ़कर 510 हो गया है। कारों की बढ़ती संख्या का ही नतीजा है कि पीक आवर्स के दौरान वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर औसत गति 10 किमी/घंटा रह गई है, तो एलबीएस मार्ग पर सिर्फ 8 किमी/घंटा। आरटीओ अधिकारियों के मुताबिक, अधिकांश कार रजिस्ट्रेशन वेस्टर्न सबअर्ब में हुए हैं जिनकी संख्या करीब 5 लाख है। 3.3 लाख आइलैंड सिटी और 1.7 लाख प्राइवेट कार रजिस्ट्रेशन मुंबई के ईस्टर्न सबअर्ब में हुए हैं।
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