भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो के आंकड़ों में पुलिस सबसे भ्रष्ट

मुंबई। भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के दावे भले ही किए जा रहे हों, मगर सचाई यह है कि सरकारी महकमों में आज भी भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इसका ताजा सबूत हाल में ऐंटि करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से मिली जानकारी दे रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 8 साल में भ्रष्टाचार से संबंधित कुल 7,176 सरकारी लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।

शर्मनाक बात यह रही कि इनमें से भी मात्र 424 लोगों को अदालत ने दोषी ठहराया है। बाकी 6,752 आरोपियों के खिलाफ अब भी मामले लंबित हैं। भ्रष्टाचार के मामले प्रशासन से जुड़े कर्मचारियों एवं अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हैं, जो दर्शाते हैं कि मुंबई में प्रशासनिक तंत्र अंदर से कितना खोखला है। यह जानकारी सामाजिक कार्यकता शकील शेख ने आरटीआई के जरिए एसीबी से जुटाई है।

2010 से 2018 की जुलाई तक 1948 पुलिसकर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए गए। वहीं, राजस्व विभाग के 1940, पंचायत समिति के कुल 748, महानगरपालिका के कुल 515 और महावितरण के 385 अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए गए हैं। दर्ज किए गए 442 मामलों में 5536 कर्मचारियों एवं अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। दोषियों से 1,33,14,100 रुपये जुर्माना वसूला गया है। 2015 में सर्वाधिक 139 लोगों को अदालत ने दोषी माना था।

 


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