मुंबई। मुंबई उच्च न्यायालय ने मनपा को फटकारते हुए कहा है कि कमला मिल परिसर में कायदे-कानूनों का जो उल्लंघन हुआ है, वह मनपा अधिकारियों की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता था। परिसर के दो पब में आग लग जाने से पिछले साल दिसंबर में 14 लोगों की मौत हो गई थी।
न्यायालय ने यह भी कहा कि मनपा और सरकार की नई रूफ टॉप नीति को तभी लागू किया जा सकता है, जब सभी होटल, पब, रेस्टोरेंट आदि में सुरक्षा उपाय ठीक तरीके से लागू करना सुनिश्चित हो। अभी इस नीति पर विशेषज्ञ विचार-विमर्श कर रहे हैं और बारीकी से उसका विश्लेषण किया जा रहा है।न्यायाधीश आर.एम. बोर्डे और आर.जी. केतकर ने कहा कि जिस तरह से इस उद्योग या क्षेत्र के लिए कायदे-कानून बनाए गए हैं, उसे देखते हुए लगता है कि उनमें छेड़छाड़ मनपा के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना नहीं की जा सकती थी।
यही छेड़छाड़ इस अग्निकांड की वजह बन गई। न्यायालय ने कहा कि क्योंकि मनपा कमिश्नर ने अपने ही अधिकारियों के विरुद्ध जांच शुरू कर दी है, इसलिए इससे संकेत मिलता है कि रेस्टोरेंट मालिकों-ऑपरेटरों और टेक्सटाइल मिल मालिकों की मिलीभगत में मनपा अधिकारी भी शामिल थे।
न्यायालय ने कहा कि ‘ऊपरी तौर पर यह साफ हो जाता है कि कायदे-कानून के उल्लंघन में मनपा और सरकारी अधिकारी शामिल थे।’ अदालत ने यह भी कहा कि ‘ऐसा लगता है कि सरकार इस अग्निकांड के कारणों की जांच का पता लगाने के लिए ‘कमिशन ऑफ एन्क्वायरी ऐक्ट’ के तहत आयोग के गठन को इच्छुक नहीं है।’ यह टिप्पणी कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त जूलियो रिबेरो की जनहित याचिका की सुनवाई पर की।
सरकार की रूफ-टॉप रेस्टोरेंट नीति पर न्यायालय ने कहा कि ‘जिस तरह का व्यवहार मनपा और सरकारी अधिकारियों ने दिखाया है, उसे देखते हुए राज्य में इस नीति को बहुत ही सावधानी और सुरक्षा व्यवस्था के तहत ही लागू किया जाना जरूरी है। इस संबंध में सरकार और बीएमसी को बहुत ही संभलकर चलना होगा, क्योंकि नागरिकों को कानूनों का उल्लंघन करने वालों के समक्ष बेसहारा नहीं छोड़ा जा सकता है। इसके लिए जिस इमारत में इस तरह के रेस्टोरेंट हों, वहां का पूरा संरचनात्मक ऑडिट होना चाहिए।
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