वाह-वाही लूटने में लगे सर्वदलीय नेता
मुंबई। इफ्तार पार्टी के बहाने प्रचार और वाह-वाही लूटने का सिलसिला तकरीबन 24 दिनों से चल रहा है। इन पार्टियों में गरीब व जरूरतमंदों को इफ्तार कराने के बजाय बड़ी-बड़ी हस्तियों व नामचीन लोगों को बुलाया जाता है। ताकि उनकी इफ्तार पार्टी की चर्चा हो और उन्हें वाह-वाही मिले। जबकि इस्लाम में कहा गया है कि जिन्हें दो जून की रोटी नसीब नहीं होती और इफ्तार (रोजा खोलने) के लिए दर-दर भटकते हैं ऐसे लोगों को इफ्तार कराना सवाब (पुण्य) का काम है। उक्त बातें एआईएमआईएम के नेता इमरान कुरैशी ने 24वें रोजा के दिन जरूरतमंदों में अनाज वितरण के दौरन कही।
उन्होंने कही की रमजान शरीफ के पवन अवसर पर 730 जरूरमंदो में अनाज का वितरण किया गया। चांदिवली विधानसभा के सफेदपुल स्थित पार्टी कार्यालय में 24वें रमजान शरीफ के मौके पर विशेष रूप से अनाज वितरण का कार्यक्रम रखा गया था। इस अवसर पर एआईएमआईएम के नेता इमरान कुरैशी ने कहा कि रमजान शरीफ में मुंबई सहित पूरे देश मे रोजा इफ्तार पार्टी का दौर चल रहा है।
इन पार्टियों में गरीब व जरूरतमंदों को इफ्तार कराने के बजाय बड़ी-बड़ी हस्तियों व नामचीन लोगों को बुलाया जाता है। ताकि हर तरफ उनकी पार्टी की चर्चा हो, इफ्तार पार्टी के बहाने लोग वाह-वाही बटोरने में लगे हैं। लेकिन मेरा मानना है कि सिर्फ एक वक़्त इफ्तार करने से भूखे और जरूरतमंदों की मुश्किलें दूर नही होती और न ही उनके घरों का चूल्हा जलता है। इफ्तार की दावत तो महज एक दिखावा है। इसे देखते हुए मैंने अपनी योजनाओं को और आगे बढ़ते हुए अनाजों का अनुपात बढ़ दिया है।
ताकि जरूरतमंदो के घरों का चूल्हा कम से कम दो हफ्ते जलता रहे। उन्होंने कहा कि पेट की आग बुझाने के लिए अनाज की जरूरत होती है। लेकिन माहे रमजान में लोग शोहरत बटोरने के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन करते है। इस तरह की पार्टियों में खाने से ज्यादा फल फ्रूट नुकसान हो जाता है। क्या इस बारे में किसी ने सोचा है। क्या इस्लाम इसकी इजाजत देता है?
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