साभार/ मुंबई। अदालत में जजों की कमी और पेंडिंग केसों की खबरें आती हैं, लेकिन इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस शाहरुख जे. कथावाला ने अनूठी पहल की। शनिवार से गर्मी की छुट्टियों के लिए हाई कोर्ट बंद होने से पहले उन्होंने शनिवार तड़के 3:30 बजे तक काम किया। शुक्रवार दिन में 10 बजे से शुरू हुए उनके कोर्ट ने इस दौरान 135 से ज्यादा मामले सुने और महज 20 मिनट का ब्रेक लिया।
उनके साथ आखिर में कोर्ट से निकलने वाले एक ऐडवोकेट कहते हैं कि जज साहब आखिरी केस तक बिना थके बैठे रहे और हर दलील को बेहद ध्यान से सुना। पेंडिंग केसों को निपटाने के लिए वह दो हफ्ते पहले भी आधी-आधी रात तक काम कर रहे थे। अन्य जजों के मुकाबले वैसे भी जस्टिस कथावाला एक घंटे पहले ही यानी 10 बजे से ही कोर्ट शुरू कर देते हैं और शाम 5 के बाद भी सुनवाई करते रहते हैं। बीते 9 साल से उनके साथ सेक्रटरी बताते हैं कि कई बार तो जज साहब रविवार को भी घर बुला लेते हैं और आदेश डिक्टेट करते हैं।
देश के सर्वोच्च न्यायालय में जजों के लिए 31 स्वीकृत पद हैं लेकिन सिर्फ 24 पदों पर ही जज मौजूद हैं। सुप्रीम कोर्ट में अभी 54 हजार 13 मामले लंबित हैं।
देश के 24 हाई कोर्टों में 1 हजार 79 स्वीकृत पद हैं जिनमें से सिर्फ 666 पर जज मौजूद हैं और 413 खाली पड़े हैं। इन सभी हाई कोर्टों में 41.53 लाख मामले पेंडिंग हैं।
देश की निचली अदालतों में 22 हजार 677 जजों के पद स्वीकृत है, जिनमें से 16 हजार 693 सीटों पर ही जज हैं और 5 हजार 984 पद खाली पड़े हैं। इन अदालतों में कुल 2.8 करोड़ केस पेंडिंग हैं।
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