आईएएस एलाइड सर्विसेज कोचिंग एंड गाइडेंस सेंटर
आनंद मिश्र /मुंबई। देश की बहुल आबादी कम ही लोगों को मालूम होगा कि मुस्लिम समुदाय के हितों का संवर्धन करने वाली और पार्लियामेंट ऐक्ट के तहत स्थापित हज कमेटी ऑफ इंडिया युवाओं को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए व उन्हें एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज में भागीदार बनाने के लिए ट्रेनिंग भी देता है।
11 साल पहले हुई शुरुआत
हज कमेटी ने मुस्लिम युवाओं के लिए कोचिंग सेंटर खोलने की शुरुआत 11 साल पहले की थी और वह अब अपना रंग दिखाने लगा है। हज कमेटी द्वारा संचालित आईएएस एलाइड सर्विसेज कोचिंग एंड गाइडेंस सेंटर (IAS Allied Services Coaching & Guidance Centre) आज मुस्लिम युवकों के लिए वर्दान बन गया है। यह लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा संचालित भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) या अन्य सिविल सर्विसेज़ में जाने के लिए इकलौता जरिया बन चुका है। पिछले 11 साल से इसके क्लासेस मुंबई के हज कमेटी की बिल्डिंग के 15वें, 16वें और 17वीं मंजिल में चलाई जा रही है जहां देश भर के बच्चे प्रशासनिक सेवा में अपना कैरियर आजमाने के लिए आ रहे हैं और दर्जनों को कामयाबी भी मिल चुकी है।
एंट्रेंस एग्जाम द्वारा होता है सिलेक्शन
इसके चलाने वाले और हज कमेटी आफ इंडिया (Haj Committee of India) के सीईओ डॉ मकसूद अहमद खान ने जगत प्रहरी को बताया कि हर साल जून के आखिरी हफ्ते या जुलाई के पहले हफ्ते में मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, दिल्ली, पटना और श्रीनगर जैसे शहर में एंट्रेंस एग्जाम का आयोजन होता है। इसमें पास हुए लोगों को पर्सनल इंटरव्यू देना पड़ता है। इसमें 50 सिलेक्टेड ग्रैजुएट्स को 1 साल के लिए मुंबई के हज हाउस में रहने-ठहरने और कोचिंग अटेन्ड का परमिशन मिलता है जहां उनके लिए ट्यूशन, फ्री स्टडी मैटेरियल भी मुफ्त में दिए जाते हैं और साथ ही साथ उनके लिए हज कमेटी की तरफ से खाने का भी अच्छा इंतजाम किया जाता है। डॉ खान ने बताया कि जब से इस रेज़िडेन्शल कोचिंग सेंटर की शुरुआत हुई है तब से लगातार इसमें भाग लेने वाले आवेदकों की तादाद साल दर साल बढ़ती गई है और जो इस बात की तस्दीक करता है कि ना सिर्फ इसको पॉपुलरिटी मिली है बल्कि यहां पर बेहतर एडिशन और ट्रेनिंग दी जा रही है।
टॉप क्लास की ट्रेनिंग मिलती है यहां
मुंबई विश्वविद्यालय (Mumbai University) के पूर्व रजिस्ट्रार रह चुके डॉ खान ने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग अर्थात यूपीएससी का एग्जाम क्रैक करने के लिए दो चीजें अहम होती है। पहला, कोचिंग सेंटर द्वारा दी जाने वाली स्टडी मैटेरियल और दूसरा पेशेवर लोगों द्वारा दी जाने वाली कोचिंग गाइडेंस। हज कमेटी ऑफ इंडिया हर तरह की किताबें कोचिंग क्लासेज के अलावा बल्कि बच्चों के कमरों में भी उपलब्ध कराता है ताकि वह हर समय अपना फोकस पढ़ाई पर करते रहें और इधर उधर उन्हें भटकने की जरूरत ना पड़े।
उन्होंने यह भी कहा कि आवेदकों को हर तरह की ट्रेनिंग सुविधा दी जा सके इसके लिए सारी सुविधाएं एक ही बिल्डिंग में प्रदान की गई हैं और इसके लिए उन्हें इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता। इस कोचिंग सेंटर को अपने मकसद में कामयाब होने के लिए हज कमेटी आफ इंडिया ने पुणे की यूनीक एकेडमी से भी टाइ-अप किया है। उन्होंने आगे बताया की कोचिंग की साल भर की ट्रेनिंग के दौरान कोचिंग ले रहे बच्चों को अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट लोग आकर उनका मार्गदर्शन करते हैं और साथ ही साथ नियमित रूप से ऐसे सिविल सर्वेंट आते रहते हैं जिन्होंने पहले से ही इस यूपीएससी के एग्जाम को पास कर रखा है।
रोज 5 घंटे कोचिंग, वीकली टेस्ट
कहने की बात नहीं है कि ऐसे लोग जब बतौर गेस्ट टीचर आते हैं तो वह छात्रों की बेहतर ढंग से रहनुमाई करते हैं। इसका कोचिंग क्लाससेस इतना प्रोफेशनल है उसे इस बात से समझा जा सकता है कि यहां अध्ययन कर रहे छात्र और छात्राओं को हर रोज 5 घंटे की कोचिंग दी जाती है ताकि पूरा सिलेबस आसानी से कवर किया जा सके और उनकी डे-टू-डे मॉनिटरिंग हेतु हर रविवार को परीक्षाएं ली जाती रहती हैं। यही नहीं, बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रखने के लिए उन्हें स्पोर्ट्स और जिम्नाजियम की भी व्यवस्था की गई है और इबादत के लिए पास में मस्जिद भी है।
सिविल सर्विसेज़ में बढ़े मुसलमानों हिस्सेदारी
यह पूछे जाने पर हज कमेटी आफ इंडिया को इस संस्था की शुरुआत करने के पीछे क्या मकसद था? डॉक्टर खान ने कहा कि हज कमेटी ऑफ इंडिया का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी कोई आईएएस या सिविल सर्विसेज़ का अधिकारी ही होता है जिन्होंने बाद में उन्होंने नोट किया कि मुस्लिम समुदाय से इस प्रशासनिक सेवा में आने वाले लोगों की तादाद कम है और क्यों न उन्हें इसके लिए मार्गदर्शन किया जाए और उन्हें प्रेरणा दिया जाए। उन्होंने कहा कि एक बार यहां एडमिशन हो जाने पर बच्चों को तैयारी करने के लिए और कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि यह एक रेजिडेंशियल कोचिंग है और यहां पर खर्च के नाम पर उन्हें मात्र ढाई हजार रुपए हर महीने का खाने के लिए अदा करना पड़ता है।
मुख्तार अब्बास नकवी भी कर चुके हैं तारीफ
इस रेजिडेंशियल कोचिंग सेंटर की तारीफ देश के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी कर चुके हैं। इसी साल फरवरी में जब जनाब नकवी यहां एक नॉलेज रिसोर्स सेन्टर नामक लाइब्रेरी का उद्घाटन करने आए थे तो उन्होंने देखा था कि किस प्रोफेशनल तौर तरीके से बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे आईएस या अन्य सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं में अपना हुनर दिखा सकें।
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