मुंबई। प्याज की गिरती कीमतों ने महाराष्ट्र सरकार को रियायत देने के लिए मजबूर कर दिया है। गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल ने प्याज उत्पादक किसानों को प्रति क्विंटल 200 रुपये यानी प्रति किलो 2 रुपये अनुदान देकर प्याज के रोते किसानों को रियायत देने की कोशिश की है। हालांकि यह छूट उन किसानों को ही मिलेगी जिन्होंने इस साल 1 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच कृषि उत्पन्न बाजार समिति में अपनी प्याज बेची होगी। सरकार का कहना है कि इससे राज्य की तिजोरी पर करीब 150 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। यह छूट किसानों को अधिकतम 200 क्विंटल तक ही मिलेगी। सरकार ने दावा किया है कि इससे राज्य के करीब ढ़ाई से तीन लाख किसानों को फायदा होगा। सब्सिडी की यह रकम सीधे किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
इससे पहले सरकार ने सन 2016-17 में किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल अनुदान दिया था, जिससे सरकार को 41 करोड़ रुपये खर्च आया था। मंत्रिमंडल की बैठक में शिवसेना के मंत्री चाहते थे कि किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल अनुदान दिया जाए। सरकार को अनुमान है कि तकरीबन 75 लाख क्विंटल प्याज खरीदी पर अनुदान देना पड़ेगा।
प्याज उत्पादन से लेकर निर्यात के मामले में महाराष्ट्र देश का नंबर एक राज्य है। महाराष्ट्र से साल 2014-15 में 10 लाख मैट्रिक टन, साल 2015-16 में 27.93 लाख मैट्रिक टन, 2016-17 में 18.60 लाख मैट्रिक टन प्याज का निर्णय किया गया। इस साल अगस्त महीने तक देश से कुल 8.31 लाख मैट्रिक टन प्याज का निर्यात किया गया, जिसमें अकेले महाराष्ट्र से 6.65 लाख मैट्रिक टन प्याज महाराष्ट्र से भेजा गया।
महाराष्ट्र में प्याज संकट इसलिए पैदा हुआ क्योंकि मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, तेलंगाना जैसे अन्य राज्यों में प्याज की बहुत अच्छी फसल हुई, जिससे महाराष्ट्र का प्याज अन्य राज्यों को नहीं भेजा जा सका। इससे प्याज के दाम जमीन पर आ गिरे। महाराष्ट्र में प्याज के थोक मूल्य 1-2 रुपये प्रति किलो तक नीचे आ गिरे, जबकि प्याज का लागत मूल्य करीब 7-8 रुपये प्रति किलो पड़ता है, ऐसे में किसानों को भारी नुकसान हुआ। किसानों को राहत पहुंचाने के लिए अनुदान देने का फैसला लिया गया।
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