मुंबई। शराबबंदी के आदेश से प्रभावित बीयर बार, शराब की दुकानों और होटल-रेस्टोरेंट वालों के अच्छी खबर है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश का पालन करने में स्टेट ऐक्साइज डिपार्टमेंट ने ढंग से काम नहीं किया है और महाराष्ट्र सरकार को अब हरेक प्रभावित पक्ष को सुनकर फैसला करना चाहिए। यह फैसला लेने के लिए कोर्ट ने समय सीमा 5 जुलाई रखी है।
हाई कोर्ट ने यह फैसला देते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए हर किसी की शराब दुकान को बंद नहीं कर सकती जो राष्ट्रीय राजमार्ग से 500 मीटर के अंदर में पड़ रही है। इसके लिए हरेक दुकान, बार या होटल को अलग-अलग देखना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि हम सभी को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के पीछे की मंशा को भी देखना चाहिए क्योंकि हर रोज सैंकड़ों रोज सड़क दुर्घटना में मारे जा रहे हैं। यदि आपको अपने रोजगार करने का अधिकार प्राप्त है तो बाकी करोड़ों लोगों को सुरक्षित जीने का अधिकार भी है।
यह फैसला न्यायाधीश एसएम केमकर और न्यायाधीश एमएस सोनक ने शराब की दुकानों, परमिट रूम्स और बार द्वारा स्टेट ऐक्साइज डिपार्टमेंट द्वारा शराब बेचने-परोसने संबंधी नोटिसों को चुनौती देते हुए दायर अनेक याचिकाओं की सुनवाई पर दिया। ये नोटिस डिपार्टमेंट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए नोटिस की पालना के कारण दिए गए थे। इस नोटिस के कारण लाखों लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ रहा है और करोड़ों रुपयों का निवेश ‘एनपीए’ होने के कगार पर है।
लेकिन याचिकाकर्त्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं में यह भी आरोप लगाया गया था कि डिपार्टमेंट ने मनमाने ढंग से काम किया और उन दुकानों को भी बंद करने का नोटिस दे दिया जो 500 मीटर के अंदर नहीं आती। साथ ही इस गणना के लिए हाईवे को ध्यान में न रखते हुए आसपास की सड़क तक को शामिल कर लिया गया है। कोर्ट ने कहा कि अब सचिव, स्टेट पीडब्ल्यूडी के साथ-साथ स्टेट ऐक्साइज के कमिश्नर को हरेक याचिकाकर्त्ता की शिकायत को सुनें और उन्हें निपटाएं। यह काम 5 जुलाई तक करना है। लेकिन कोर्ट ने याचिकाकर्त्ताओं को जारी नोटिसों पर रोक लगाने की मांग का खारिज कर दिया।
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