मुंबई। महानगर मुंबई के महालक्ष्मी इलाके में सम्राट अशोक सोसायटी में आग लगने से एक महिला की मौत होने के बाद घटना की वजह ढूंढने की कोशिश की जा रही है। स्लम रीहैबिलिटेशन अथॉरिटी की योजना के तहत यह इमारत बनाई गई थी। इसमें सैकड़ों लोग रहते हैं लेकिन 18 मंजिला इमारत की हर फ्लोर पर केवल एक इमरजेंसी एग्जिट है। ये भी इतना पतला रास्ता है कि एक बार में केवल एक व्यक्ति ही इनसे निकल सकता है।
इमारत की 14वीं मंजिल पर रहने वाले सचिन कांबले बताते हैं कि इमारत में वेंटिलेशन नहीं है। आग से लगने वाला धुआं इसीलिए पूरी इमारत में फैल गया और हवा के सर्कुलेशन की कमी से लोगों का दम घुटने लगा। वे हर जगह फंसे हुए थे। बताया गया है है कि प्रदीप नाम के व्यक्ति ने अगर सतर्कता नहीं दिखाई होती तो मरने वालों की संख्या और भी बढ़ सकती थी। उन्होंने इमारत की पावर सप्लाई बंद कर दी और दूसरे लोगों की मदद से इमारत खाली कराने लगे। इमारत में रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया, ‘हमें इस इमारत में लाकर पटक दिया गया है। हमें लगता है कि ये उन झुग्गियों से भी बदतर है जहां हम पहले रहते थे। ये वर्टिकल स्लम है।’
उधर, चीफ फायर ऑफिसर पीएस रहांगडले ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था सही से नहीं की गई थी। उन्होंने बताया कि इमारत को नोटिस जारी कर आग से बचाव की तरीकों को सही करने के लिए कहा गया था लेकिन वहां के लोगों ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने बताया कि सोसायटी में पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ लापरवाही का केस पुलिस में दर्ज कराए जाने की प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है। एक दमकलकर्मी ने बताया कि इमारत के फायर डक्ट को घरेलू सामान रखकर ब्लॉक कर दिया गया था।
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