मुंबई। विलियम शेक्सपियर अंग्रेजी के सुप्रसिद्ध कवि, नाटककार और अभिनेता थे, जिनके नाटक पर लगभग सभी देशों में नाटक लोगों ने विभिन्न भाषाओं में मंचन किया है। अब मुंबई में जनवरी 2018 में ‘व्हाट्स इन ए नेम’ थिएटर कंपनी के बैनर तले निर्माता कनुप्रिया का शेक्सपियर के नाटक पर अंग्रेजी में नाटक ‘दी टेमिंग ऑफ दी श्रेव’ की शुरुआत होगी। जिसके निर्देशक देशिक वांसदिया है, जो कि नाटक में “श्रू” की मुख्य भूमिका निभाएंगे। इसमें आज के समाज में चल रहे पुरुष और महिलाओं के समान अधिकार के बारे में दिखाया गया है। इस नाटक की खासियत है कि इसमें लड़के लड़किओं का रोल करेंगी और लड़कियाँ लड़कों का रोल करेंगी।
अंग्रेजी नाटक ‘दी टेमिंग ऑफ दी श्रेव’ के एक्टर व निर्देशक देशिक वांसदिया (नवसारी) गुजरात के रहने वाले है। अमेरिका के ‘स्टेल्ला एडलर’ एक्टिंग स्टूडियो से तीन साल एक्टिंग सीखा है और वही से शेक्सपियर एंड कंपनी से दो साल ट्रेनिंग लिया है। और वही पर काफी नाटकों में काम किया। लॉस एंजलिस में रोमियो और जूलिएट के प्रोडक्शन में रोमियो का रोल किया, जो कि काफी फेमस हुआ।
उसके बाद शेक्सपियर के नाटकों के मुरीद बन गए और विश्वभर में अलग अलग नाटकों में मुख्य भूमिकाओं को निभाया। मुंबई आकर कई फिल्म, सीरियल, नाटक, म्यूजिक अल्बम, विज्ञापन फिल्म इत्यादि में काम किया। वे अंग्रेजी में बोलने और अंग्रेजी में ही डायलॉग बोलने में ज्यादा सहज महसूस करते है। इसके पहले शेक्सपियर की 400वीं पुण्यतिथि के अवसर पर ‘आल इंडिया रेडियो’ के लिए एक अंगेजी प्ले ‘मेसर फॉर मेसर’ को निर्देशित करके दिया था, जिसमें एक गुरु/ साधू एक लड़की को देखने के बाद उस पर मोहित हो जाता है।
जो कि आज भी रविवार को अक्सर प्रसारित होता है। इसके बाद देशिक वांसदिया एक नाटक ‘दी बॉय हु स्टोप्पड़ स्माइलिंग’, जिसमें एक आठ साल का लड़का बहुत ही ज्यादा इंटेलीजेंट होने के आम बच्चों की तरह लोगों से अच्छा व्यवहार नहीं कर पाता है। इसमें देशिक ने एक्टिंग और निर्देशन भी किया था। जिसका शो पृथ्वी थिएटर, ऍन सीपीए और पूरे देश में काफी सफलतापूर्वक शो किये थे।
अंग्रेजी नाटक ‘दी टेमिंग ऑफ दी श्रेव ‘ के ऐक्टर व निर्देशक देशिक वांसदिया अपने नए शो के बाते में कहते है, “हम महिला और पुरुष की समानता की बात करते है। लेकिन जब आज कोई लड़की मॉर्डन ड्रेस पहन ले या थोड़ा से पुरुष के समान रहने लगे तो लोग उसके बारे में गलत -गलत बाते करते है और कहते है कि वह बिगड़ गयी है। वैसे दोनों के बीच में मेन ‘पावर’ बड़ा होता है।
चाहे महिला के पास ‘पावर’ हो या पुरुष के पास। वह उसका इस्तेमाल करता है। सच पूछों कोई बड़ा या छोटा नहीं होता है। इसमें हम लोगों ने इस नाटक में शेक्सपियर वाली अंग्रेजी ही रखा। उसमें जो भाव, रस, कविता है वह आज की अंग्रेजी में नहीं है।” इस नाटक का मंचन मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, बंगलुरु, राजस्थान इत्यादि में करेंगे।
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