मुंबई। इंदिरा गांधी सरकार की ओर से लगाए गए आपातकाल के दौरान जेल जाने वालों को महाराष्ट्र सरकार 10,000 रुपये तक प्रतिमाह पेंशन देने पर विचार कर रही है। इसके अलावा उन्हें सालाना 10 हजार रुपये तक मेडिकल सुविधा देने का मन बनाया है। उन्हें और बेहतर सुविधा देने के लिए मंगलवार को फडणवीस सरकार ने एक उपसमिति के गठन का निर्णय लिया है।
मंत्रिमंडलीय फैसले के संदर्भ में संसदीय कार्य मंत्री गिरीष बापट ने बताया कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व बिहार में जेल जाने वाले को कई तरह की सुविधा देती है। कई राज्य 9,000 से 12,000 रुपये तक की पेंशन देते हैं। जेल जाने वाला व्यक्ति अब नहीं रहा तो पेंशन की रकम उसकी पत्नी को मिलती है। इसके अलावा वे राज्य और क्या व किस तरह की सुविधा देते है उस पर विस्तार से अध्ययन के लिए एक उपसमिति के गठन की मंजूरी मंत्रिमंडल ने दी है।
उस समिति में संसदीय कार्य मंत्री बापट और कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर के अलावा जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी, जेलर आदि शामिल होंगे। गौरतलब है कि बापट और फुंडकर भी उस वक्त जेल गए थे। उपसमिति अपनी रिपोर्ट तीन महीने के अंदर देगी। बापट ने कहा कि आपातकाल के दौरान जो लोग जेल गए, उन्होंने लोकतंत्र को बचाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी बदौलत ही आज देश में लोकतंत्र कायम है। वैसे आपातकाल के समय जेल जाने वालों को पेंशन देने का प्रस्ताव कई महीने पहले भाजपा नेता एकनाथ खडसे ने रखा था।
गौरतलब है कि देश में 25 जून 1975 से लेकर 21 मार्च 1977 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू कर दिया था। उस दौरान जिसने भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई, जेल में डाल दिया गया था। आपातकाल का विरोध करने में आरएसएस के स्वयंसेवक, समाजवादी, वाम पार्टी और अलग-अलग मजदूर संगठनों के नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल थे। दिल्ली और राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद से यह मांग जोर पकड़ रही है।
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