जय-जयकार से गूंजा आशीष तालाब
मुश्ताक खान/ मुंबई। सिंधी समाज द्वारा मनाया जाने वाला झूलेलाल महापर्व आज 40 दिनों के बाद संपन्न हो गया। समाज के लोगों की जय-जयकार से चेंबूर का आशीष तालाब गूंजा उठा। प्राचीन परंपराओं को सिंधी समाज के श्रद्धालुओं ने अब भी बरकरार रखा है। इसकी ताजा मिसाल चेंबूर कैंप के वरन देवता (झूलेलाल) के मंदिर में सहज ही देखा जा सकता है। सदियों पुरानी चालिया साहेब पर्व को समाज के पूर्वजों ने न केवल भव्य रूप दिया है, बल्कि पर्व की गरीमा को और भी बढ़ाया है। करीब चालीस दिनों तक चलने वाले महापर्व को लगभग छह दशक से चेंबूर के वरनपुरी जल आश्रम पूज्य पंचायत द्वारा मनाया जा रहा है। इस पर्व के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा भजन, कीर्तन और आरती का भी आयोजन किया गया।
गौरतलब है कि चालिया साहेब के पावन पर्व को हिंदू पंचांग के अनुसार ”श्रावण माह” में मनाया जाता है। जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस पर्व को 16 जुलाई से 24 अगस्त तक मनाने की परंपरा है। श्रावण के पवित्र माह में चलने वाले महापर्व में सिंधी समाज के लोग दूर-दूर से आते हैं। पूज्य पंचायत के ट्रस्टी एवं अध्यक्ष अशोक केशवानी ने बताया की मान्यताओं के अनुसार संकट से घिरे समाज के लोगों को उबारने के लिए पाकिस्तान के सिंध प्रांत में जल देवता झूलेलाल प्रकट हुए थे।
इसके बाद उनके आशीर्वाद से समाज के लोगों की समस्याओं का समाधान हुआ। उन्होंने बताया की इस मौके पर समाज के लोगों द्वारा विशेष गीत व भजन का आयोजन भी किया जाता है। झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट के सचिव वासुदेव भांमबानी ने चालिया पर्व की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया की झूलेलाल पर्व के पहले दिन व नवरा और चालीसवें दिन खास तौर पर पूजा व कीर्तन किया जाता है।
लगभग छह दशक से चल रहे जल देवता के इतिहास को दोहराते हुए पंचायत के सचिव रमेश लोहाना ने बताया की आस्था से जुड़े इस पर्व को मौजूदा समय में देश के विभिन्न राज्य व शहरों में काफी धूम धाम से मनाया जाता है। उन्होंने बताया की सिंधी समाज के लोग पूज्य वरन देवता की पूजा अर्चना में कोई कसर नहीं छोड़ते, चालिया साहेब पर्व को दशहरा, गणपति, ईद और दीपावली की तरह मनाया जाता है। लोहाना ने बताया की इस पर्व पर श्रद्धालुओं द्वारा वरन देवता के मंदिर में भजन, कीर्तन और आरती के बाद भव्य झांकिया भी निकाली जाती है।
बताया जाता है कि चेंबूर कैंप के झूलेलाल मंदिर से आशीष तालाब तक श्रद्धालुओं का कारवां कई टुकड़ियों में जमा होता है। वहीं किश्न शर्मा उर्फ महाराज ने बताया की वरन देवता के मंदिर में जाने से मन को शांति मिलती है। उन्होंने बताया कि बाबा झूलेलाल की जय-जयकार करने से मन को शांति मिलती है। उन्होंने बताया की 40 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में हर रोज श्रद्धालु आशीष तालाब पर आरती के बाद महाप्रसाद का वितरण करते हैं।
प्राचीन परंपरा व मान्यताओं के अनुसार चालिया के दौरान व्रतियों को काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। इनमें महिला, पुरूष व ज्येष्ठ नागरीकों का समावेश है। उन्होंने बताया कि करीब छह दशक पहले चेंबूर कैंप के भाजी मार्केट में शुरू हुई वरन देवता की जय-जयकार अब लगभग पूरे चेंबूर में गूंजने लगी है। इस पर्व को विदेशों में भी काफी महत्व मिलने लगा है। चेंबूर के झूलेलाल मंदिर के ट्रस्टियों में अध्यक्ष अशोक केशवानी, उपाध्यक्ष राम साहित्य, वासुदेव भामबानी, रमेश लोहाना और किशोर टेकचंद हैं।
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