कोटपा ड्राईव से गिरा अपराध का ग्राफ
मुश्ताक खान/ मुंबई। सरकारी नियमों के विरूद्ध बिना किसी वजह बेवक़्त तफरीह करने वाले और स्वच्छ भारत अभियान में सेंध लगाने वालों सहित कोटपा का उल्लंघन करने के मामले में नेहरू नगर पुलिस ने महज 4 महीनों में 350 लोगों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए करीब 5 लाख रूपये बतौर दंड वसूल किया है।
इस ड्राइव से कुर्ला पूर्व स्थित नेहरू नगर पुलिस स्टेशन की हद में आने वाले दुकानदारों और रहिवासियों में हड़कंप मच गया है। हालांकि मौजूदा कार्रवाई से यहां की जनता बेहडी नाराज है। लेकिन कोई बोलने को तैयार नहीं। यह कार्रवाई महाराष्ट्र प्रतिबंधित नियम व महाराष्ट्र पुलिस एक्ट के तहत की जा रही है। इस कार्रवाई में गैर सरकारी संस्थाओं का भी समावेश है।
गौरतलब है कि नेहरूनगर पुलिस की कोटपा ड्राईव से दिनों दिन अपराध का ग्राफ गिरा है। इसे मुंबई पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। वहीं इस ड्राइव से कुर्ला पूर्व स्थित नेहरूगर पुलिस स्टेशन की हद में आने वाले दुकानदार और रहिवासियों में हड़कंप मच गया है। अगस्त से चल रहे इस ड्राईव में अब तक 350 लोगों के खिलाफ महाराष्ट्र प्रतिबंधित नियम, एमवीआई और महाराष्ट्र पुलिस एक्ट के तहत कार्रवाई कर पुलिस ने करीब 5 लाख रूपये बतौर दंड वसूला है।
उल्लेखनीय है कि करीब चार महीनों से चल रहे कोटपा ड्राईव की चपेट में आने वालों को नियमानुसार दंडित कर अदालत में पेश किया जाता है, जो दंड की राशि जमा करने के बाद छूट जाते हैं। इस कार्रवाई में वक़्त की नजाकत को देखते हुए अधिकारियों द्वारा कई बार हिदायत देकर छोड़ने की बात भी सामने आई है।
नेहरूनगर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी विलास शिंदे ने बताया की मौजूदा समय में क्राइम पीआई दीपक सुर्वे और एपीआई अमोल कदम कोटपा ड्राईव को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने बताया की इस ड्राईव की वजह से यहां के लोगों में कई तरह का सुधार देखा जा रहा है। हालांकि इससे मामूली अपराधों में कमी आई है। वहीं इस ड्राईव के डर से क्षेत्र के गर्दुल्ले व चरसियों ने अपना ठिकाना बदल दिया है। इस तरह मुंबई के सभी पुलिस स्टेशनों में कोटपा ड्राईव पर जोर देना चाहिए।
क्या है कोटपा कानून
स्वस्थ्य महाराष्ट्र के लिए कोटपा अधिनियम 2003 बनाया गया है, इसके तहत सिग्रेट और दूसरे किसी भी प्रकार के तंबाकू का उत्पादन, सेवन या बिना ट्रेड मार्क के खरीद फरोख्त अपराध के दायरे में आता है। नाबालिग बच्चों से भी प्रतिबंधित उत्पादनों के बेचने पर मनाही है। लिहाजा इस नियम का पालन करना राज्य के हर नगरीक को अनिवार्य है। मिसाल के तौर पर सिग्रेट की पूरी पॉकेट बेचना कोई अपराध नहीं, लेकिन पॉकेट खोल कर एक – दो सिग्रेट बेचना अपराध के दायरे में आता है।
क्योंकि सिग्रेट की पॉकेट पर स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां उत्पादकों द्वारा दी जाती है, लेकिन एक या दो सिग्रेटों पर उक्त जानकारी उपलब्ध नहीं होती। इसके अलावा दुकान या पान पट्टियों के बंद होने की समय सीमा राज्य सरकार द्वारा तय की गई है। ऐसे में बंद के समय के बाद दुकान या पान पट्टियों के खुले रहने पर भी पुलिस कार्रवाई कर सकती है। इतना ही नहीं अधिकारिक तौर पर सार्वजनिक स्थानों पर ध्रूमपान निषेद होता है। इसका भी ध्यान मुंबईकरों को रखना चाहिए।
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