पूरे देश में कांग्रेसियों ने किया प्रदर्शन
प्रहरी संवाददाता/ मुंबई। केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में किए गए वृद्धि का पुरजोर विरोध महाराष्ट्र और मुंबई के कांग्रेस (Congress) के आला नेताओं पदाधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं ने किया है। सोमवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं का एक दल जिलाधिकारी से मिला और उन्हें ज्ञापन दिया। जिलाधिकारी मिलिंद बोरीकर को दिए गए मेमोरेंडम में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपील की कि वह भारत के राष्ट्रपति से मांग करें पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम किया जाए।
बाद में मीडिया से बात करते हुए महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चरणजीत सिंह सप्रा (Charanjeet Singh Sapra) ने कहा की जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है इसने आम आदमी को कहीं का नहीं छोड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक-एक करके कई बार डीजल और पेट्रोल (Petrol) की कीमतों में वृद्धि की है जिनसे इनके दाम आज आसमान छूने लगे हैं और इसका असर वस्तुओं की कीमतों पर अवश्य पड़ेगा।
जगत प्रहरी से बात करते हुए चरणजीत सिंह सप्रा कहा कि पिछले 22 दिनों से लगातार हर दिन डीजल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं। पिछले 13 दिनों में डीजल की कीमतें ₹12 बढ़ गई हैं। यही नहीं पिछले 6 सालों में पेट्रोल की कीमत 258% बढ़ गई है जबकि डीजल की कीमत 820% बढ़ गई है। ऐसा तब हो रहा है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें कम हुई हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के पैमाने पर देखा जाए तो भारत में पेट्रोल 25 से ₹30 रुपये प्रति लीटर बेचे जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जब कोरोना महामारी और लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पहले से ही चरमरा रही है और लोगों की आमदनी बिल्कुल कम हो गई है, लोगों ने अपनी नौकरियां खोई हैं, ऐसे में इन पेट्रोलियम पदार्थों की वृद्धि करके यह सरकार आखिर क्या साबित करना चाहती है। इस मौके पर अन्य कांग्रेसी लीडरों के अलावा एमएलए जीशान सिद्दीकी, बाबा सिद्दीकी, मुंबई कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आदि सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल थे।
जानकारों के अनुसार, डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि से जल्द ही बसों, टैक्सियों के जरिए यात्रा जहां महंगी होगी, वहीं दूसरी ओर ट्रकों के किराए में वृद्धि से दवाओं, सब्जियों, फलों, अनाजों सहित अधिकतर वस्तुएं भी महंगी होंगी। इस संबंध में ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने नाराजगी जताई है और अपने सदस्यों से कहा है कि डीजल की कीमतें पास ऑन करना शुरू कर दें।
गौरतलब है कि एक महीने में डीजल की कीमतों में 12 रुपए प्रति लीटर का इजाफा हो गया है और सोमवार को इसकी कीमतें 80.53 रुपए पर पहुंच गई हैं। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट मोटर कांग्रेस की कोर कमिटी के चेयरमैन बाल मलकीत सिंह ने बताया कि हमने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सदस्यों को कह दिया है कि वे कीमतों को पास ऑन करना शुरू कर दें। यानी डीजल की कीमतें जो बढ़ी हैं, वो उन लोगों से वसूली जाएंगी जिनका माल है। माल वाले फिर इसकी कीमत ग्राहकों से वसूलेंगे। इस तरह से डीजल की कीमतों का इस तरह से सीधा प्रभाव आम आदमी पर पड़ेगा।
बल मलकीत सिंह ने कहा कि हमारे ऑपरेशनल कॉस्ट का 65 प्रतिशत हिस्सा डीजल में चला जाता है। डीजल की कीमत बढ़ेगी तो निश्चित तौर पर हमारे लिए यह बोझ है। लागत बढ़ेगी तो वह पास ऑन करना होगा। प्रोडक्ट में कीमतों को जोड़ा जाएगा। इसका आम लोगों पर होगा असर। ट्रांसपोर्ट सेक्टर के 20 करोड़ लोग इससे प्रभावित होंगे, पर डायरेक्ट या इनडायरेक्ट 135 करोड़ लोगों पर इसका बोझ जरूर पड़ेगा।
ट्रांसपोर्ट असोसिएशन से जुड़े एक पदाधिकारी ने जगत प्रहरी को बताया कि आज चारों ओर बेरोजगारी है। जिनकी नौकरी है, उनकी सैलरी आधी हो चुकी है। सरकार एक जेब से निकाल रही है दूसरी जेब में डाल रही है। हमारी मांग है कि डीजल को जीएसटी में लाना चाहिए। तिमाही इसकी समीक्षा करें कि लोगों पर इसका क्या असर हो रहा है। 6 साल में डीजल पर 8 गुना एक्साइज ड्यूटी बढ़ी है। राज्य सरकार का भी वैट है। हमारी मांग है कि एक्साइज के साथ वैट को घटाया जाए।
उन्होंने कहा कि पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि उससे माल ढुलाई नहीं होती है। पर डीजल की कीमतों से बहुत ज्यादा फर्क पड़ रहा है। कोरोना के संकट में छोटे ट्रांसपोर्ट मालिक दूध सब्जी और फल की सप्लाई में लगे थे। इन्हें अब महंगे डीजल और पेट्रोल खरीदने पड़ रहे हैं।
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