मध्य रेलवे का जान बचाओ अभियान

खतरनाक क्रॉसिंग पर बॉर्डर वाली फेसिंग

मुंबई। जल्दी के चक्कर में रेल पटरियों पर होने वाली मौतों के बढ़ते आंकड़ों को कम करने के लिए रेल प्रशासन द्वारा कई तरह का प्रयास किया गया, लेकिन अब तक के सारे प्रयास नाकाम साबित हुए हैं। अब मध्य रेलवे ने इससे निपटने के लिए जहां पर दीवारें टूटी हैं, वहां बॉर्डर पर लगने वाली फेसिंग तार लगा रही है। ताकि पटरी पर होने वाली मौतों में कमी लाई जा सके। लेकिन यह आंकड़ा दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है।

गौरतलब है कि मुंबई के उपनगरीय रेलवे लाइनों पर आए दिन होने वाली मौतों में तकरीबन 10 मौतें रेल पटरी क्रॉस करने की वजह से होती हैं, जिसके जिम्मेदार कुछ हद तक यात्री ही होते हैं। चूंकि स्टेशनों पर पास के प्लेटर्फाम पर जल्दी पहूंचने के लिए यात्री बीच के हिस्सों से पटरी पार करते हैं, जो कि मौत का कारण बन जाता है।

मध्य रेलवे मुंबई मंडल के रेल प्रबंधक (डीआरएम) एसके जैन ने बताया कि ऐसे लोकेशन पर ध्यान केंद्रित कर इन सभी जगहों से पटरियों के दोनों ओर फेसिंग का काम पूरा किया जा रहा है। रेलवे दो स्टेशनों के बीच दीवार बनाकर कई लोगों को पटरी पार करने से रोकने की कोशिश करती है, लेकिन वह भी नाकाम साबित हो रही है। पटरी पार करने से 2016 में सितंबर तक 168 लोग घायल हुए थे, जबकि 884 लोगों की मौत हो गई थी।

पटरी पार करने से रोकने की कवायद

हालांकि इससे नकारा नहीं जा सकता है कि कई बार यात्री फुटओवर ब्रिज ना होने के कारण मजबूरी में रेल पटरियों को पार करते हैं। इसका ताजा उदाहरण हैंकॉक ब्रिज है जिसे जनवरी 2016 में गिरा दिया गया था, लेकिन अभी तक वहां पर पर्यायी ब्रिज नहीं होने के कारण कई जिंदगियां खत्म हो चुकी हैं। लोगों को पटरी पार करने से रोकने के लिए मध्य रेलवे ने छह से सात जगहों पर फेसिंग तार लगा चुकी है।

मेन लाइन पर यह फेसिंग चिंचपोकली- करी रोड के बीच, दादर- परेल के बीच ट्रांस हार्बर लाइन पर ठाणे- एरोली के बीच लगाई गई है। सितंबर 2017 तक 181 लोग घायल हुए हैं ओर 817 लोगों की मौत हुई है। हालांकि पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष 51 प्रतिशत की कमी आई है, लेकिन जीरो एक्सीडेंट का सपना अभी भी कोसों दूर है।

 420 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *