मुंबई। मुंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को दक्षिण मुंबई में कफ परेड इलाके में बन रही मेट्रो तीन परियोजना का निर्माण और अन्य सहायक काम अब रात में भी करने की अनुमति दे दी है।कार्यवाहक न्यायाधीश एनएच पाटील और न्यायाधीश जीएस कुलकर्णी ने यह भी कहा कि रात में काम करते समय इस परियोजना को बनाने वाले मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन, ठेकेदार लार्सन ऐंड टूब्रो यह ध्यान रखेंगे कि इस काम के दौरान कम से कम ध्वनि प्रदूषण हो। ध्वनि प्रदूषण के बारे में राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान (नीरी) ने मापदंड तैयार किए हैं।
कोर्ट ने यह मंजूरी मेट्रो की याचिका पर दी है। कुछ दिन पहले कोर्ट ने मेट्रो का काम कफ परेड में रात में करने पर रोक लगा दी थी, क्योंकि इससे वहां रहने वाले नागरिकों का शोर के चलते हुए जीना दूभर हो गया था। अब मेट्रो ने अपने निर्माण काम में उन आपत्तियों का संज्ञान लेते हुए कम से कम शोर का ध्यान रखा है।
मेट्रो का कहना था कि उसका रात में काम करना जरूरी है, क्योंकि दिन में काम करने से ट्रैफिक की समस्या हो सकती है। मेट्रो बनाते समय टनल की बोरिंग जैसे महत्वपूर्ण काम करने हैं, जिनमें काफी शोर होता है। जमीन कई मीटर खोदने से जो मिट्टी और मलवा निकलता है, उसे बाहर फेंकना पड़ता है। अब इस कोर्ट मंजूरी के बाद मेट्रो का निर्माण काम रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक हो सकेगा।
यह मेट्रो लाइन 33 किलोमीटर लंबी है जो कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज को जोड़ेगी। इस ट्रेन का अधिकांश हिस्सा जमीन के अंदर ही होगा। इसके बनने से इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में पेड़ों के भी कटने की आशंका है, लेकिन मेट्रो ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि वह जितने पेड़ काटेगी, उससे कहीं ज्यादा नए पेड़ लगाएगी, ताकि वायु प्रदूषण से बचा जा सके।
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