मुंबई। मनपा की स्थायी समिति में बुधवार को अस्पताल परिसर में तैनात करने के लिए 23 ऐंबुलेंस किराये पर लेने के लिए प्रस्ताव भारी विरोध के बीच वोटिंग के द्वारा बहुमत से पास कर दिया गया। इसके तहत दो साल के लिए आठ अस्पतालों में 18 सामान्य और 5 कार्डिएक ऐंबुलेंस उपलब्ध कराई जाएंगी। आश्चर्यजनक बात यह है कि संबंधित कंपनी इनमें डॉक्टर और नर्स उपलब्ध नहीं कराएंगी।
मनपा अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के कारण इन ऐंबुलेंसों में डॉक्टरों का इंतजाम कैसे कराया जा सकेगा, इस पर संशय बरकरार है। नगरसेवकों ने इस प्रस्ताव के लिए नौ करोड़ रुपये खर्च करने पर भी सवाल खड़े किए हैं। हालांकि प्रस्ताव पर नाटकीय ढंग से हुई वोटिंग पर भी सवालिया निशान लगा है। गौरतलब है कि कुछ सप्ताह पहले यह प्रस्ताव प्रशासन के पास वापस भेज दिया गया था।
बीजेपी नगरसेवक प्रभाकर शिंदे ने इस प्रस्ताव को रेकॉर्ड करने की मांग की। अध्यक्ष ने वोटिंग कराने का फैसला किया। वोटिंग के दौरान बीजेपी को समर्थन देने वाली अखिल भारतीय सेना की गीता गवली मौजूद नहीं थीं। बीजेपी के कुछ नगरसेवक भी बैठक में नहीं आए थे। दोनों ओर से 11-11 वोट पड़े, तो अध्यक्ष यशवंत जाधव ने अपना निर्णायक मत देते हुए इस प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी।
नगरसेवकों ने उठाए सवाल
- राज्य सरकार की 108 नंबर की ऐंबुलेंस होने के बावजूद इस सेवा की जरूरत क्या है?
- 108 नंबर की ऐंबुलेंस अधिक होने के कारण मुंबई से ग्रामीण इलाकों में भेजी गईं, उनका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया?
- मनपा इससे कम लागत में नई ऐंबुलेंस क्यों नहीं खरीद सकती?
- ऐंबुलेंस में डॉक्टर की तैनाती कैसे होगी, क्योंकि डॉक्टर तो पहले ही कम हैं?
- प्रस्ताव बनाने वाले अधिकारी ने मनमाने ढंग से इसे क्यों तैयार किया?
- सीएसआर में मुफ्त में मिलने वाली ऐंबुलेंस लेने के बजाय यह प्रस्ताव क्यों?
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