आनंद मिश्र/ मुंबई। एक तरफ जब स्कूल की फीस माफी या इसमें किसी भी प्रकार की संभावित बढ़ोतरी टालने के लिए कोर्ट सहित सभी राजनीतिक दलों ने काफी संवेदनशीलता दिखाई है और यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी के महाराष्ट्र के बड़े बड़े लीडरों ने पिटिशन दाखिल किए हैं, वहीं पर भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी द्वारा फेसबुक पर की गई पोस्ट ने पार्टी के सीनियर नेताओं समेत सभी कार्यकर्ताओं को बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है।
गौरतलब है कि कल 13 जून को भारतीय जनता युवा मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी निखिल व्यास (Nikhil Vyas) ने फ़ेसबुक एक पोस्ट शेयर किया जिसमें लिखा था, “जो लोग बड़ी बहादुरी के साथ नो स्कूल-नो फीस का संदेश फैला रहे हैं उन्हें उसी बहादुरी के साथ नो ऑफिस-नो सैलरी का संदेश भी फैलाना चाहिए। आपको परिवार का खर्च चलाना है तो आप को सैलरी चाहिए और बिना ऑफिस जाए तनख्वाह चाहिए। तो टीचिंग स्टाफ के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए। सच्चे बनिए।”
व्यास के इस पोस्ट पर कई लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी पीछे नहीं रहे।
कांग्रेस के युवा नेता सूरज ठाकुर ने ट्वीट कर कहा, “भाजपा अपने आप में इतनी भ्रमित क्यों है? आप छात्रों और अभिभावकों के साथ हैं या नहीं ? यहाँ आप पत्र प्रस्तुत करते हैं, वहाँ @BJYM में वे कुछ विपरीत कहते हैं। राज्य के लोगों को मूर्ख बनाना बंद करो। एक बार अपने व्यापारिक दोस्तों की देखभाल करना बंद कर दें और आम लोगों के बारे में सोचें।”
यह भी एक संयोग है कि अभी कल ही अर्थात 13 जून को महाराष्ट्र प्रदेश के बीजेपी जनरल सेक्रेटरी और विधायक अतुल भातखलकर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखकर सभी स्कूलों और जूनियर कॉलेजों की 3 महीने की फीस माफ करने की मांग की है। इस बाबत उन्होंने एक ऑनलाइन पिटिशन भी लॉन्च किया है जिसे लोग धड़ाधड़ सपोर्ट भी कर रहे हैं।
इसके अलावा, महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री और मुंबई बीजेपी के पूर्व प्रेजिडेंट आशीष शेलार ने अप्रैल महीने में ही गवर्नर से मिलकर स्कूलों और कॉलेजों में फीस न बढ़ाने देने का अनुरोध किया था।
बहरहाल, युवा सेना के राहुल कनाल ने भी व्यास के पोस्ट को टैग करते हुए लिखा, “दुखद। उन्हें पेरेंट्स का दर्द अनुभव करना चाहिए और लूजर बनने की अपेक्षा जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए। अब वक्त आ गया है कि वह बड़े हो जाएं और मानवता की कद्र करें।
व्यास के फ़ेसबुक पोस्ट का जवाब देते हुए एक यूजर बृजेश यादव ने उन्हें ऑफिस वर्क और स्कूल के वर्क में अंतर समझाने की कोशिश की और बताया कि बहुत सारे अभिभावकों की नौकरी चली गई है और बहुत सारे लोगों की तनख्वाह काट ली गई है, ऐसे में पेरेंट्स फीस कहां से लाएंगे।
इस बारे में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजिंदर सिंह तिवाना से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि निखिल व्यास फिलहाल मोर्चा में किसी पदाधिकारी के तौर पर नहीं है। वे पुरानी टीम में थे। उन्होंने कहा कि कुछ महीनों पहले ही भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्यक्ष उन्हें चुना गया है और उन्होंने अपनी टीम अभी नहीं बनाई है गौरतलब है।
इसकी सफाई में निखिल व्यास से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने सफाई दी कि उनका पोस्ट भारतीय जनता युवा मोर्चा के किसी पदाधिकारी के नाते ना होकर व्यक्तिगत रूप से था और यह महज फॉरवर्डेड पोस्ट है औऱ इसे फॉरवर्ड करने का सिर्फ एक ही मकसद था कि वह इसका दूसरा पहलू भी लोगों के समक्ष रखें।
व्यास ने दावा किया कि उनके पोस्ट को फेसबुक पर सिर्फ 7 लोगों ने विरोध किया है, जबकि 150 से ज्यादा लोगों ने उनके समर्थन में बात कही है।
बहरहाल, इस प्रकरण से यह साबित हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और जूनियर नेताओं के बीच में तालमेल का सर्वथा अभाव है। इस मुद्दे पर हालांकि न तो सरकार ने और ना ही स्कूल प्रशासन ने अभी तक कोई स्थिति स्पष्ट की है। मीरा रोड निवासी एक अभिभावक अजीत सिंह ने बताया कि उनके बेटे के स्कूल यू एस ओस्तवाल हाई स्कूल ने पैरंट से स्कूल फीस पीटीए के माध्यम से जमा करने का अनुरोध किया है, हालांकि इसे आवश्यक नहीं कहा है। साथ ही इस स्कूल ने ऑफर दिया है कि जो भी अभिभावक पूरे साल की फीस एकमुश्त राशि में अदा करेंगे उन्हें 10% का डिस्काउंट मिलेगा।
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