मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना (BJP- Shivsena) गठबंधन की घोषणा होने की संभावना की चर्चा राजनैतिक गलियारों में की जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी और शिवसेना के बीच पहले चरण की बातचीत हो चुकी है जिसमें बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान बने फॉमूले पर रजामंदी नहीं बनी है। बीजेपी ने इस फॉर्मूले में बीजेपी को 160 शिवसेना को 110 और मित्र पक्ष को 18 का फॉर्मूला शिवसेना के सामने रखा जिसे शिवसेना ने मंजूर नहीं किया। लेकिन सूत्र बताते हैं कि 7 सितंबर को मोदी के महाराष्ट्र के दौरे के बाद इस फॉर्मूले पर मोहर लग सकती है।
साल 2014 में कभी हां कभी ना कहकर चुनाव एक साथ लड़ने के लिए ना हो गई लेकिन सरकार बनाने के लिए बाद में शिवसेना और बीजेरी दोनों ने हां कही। साल 2019 में फ़िलहाल एक साथ चुनाव लड़ने को लेकर दोनों ही पार्टियां हां का राग तो अलाप रही हैं लेकिन क्या गठबंधन टिकेगा इस सवाल का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महाराष्ट्र दौरे के बाद मिल पाएगा। अक्टबूर 15 से 20 के बीच में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है लेकिन अबतक बीजेपी- शिवसेना में सीट बंटवारे पर रजामंदी नही हो पाई है। जानकारों की माने तो बीजेपी 150 से कम सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेगी।
सूत्र बताते हैं कि लोकसभा में मिली बंपर जीत और 370 के एतिहासिक निर्णय के बाद मोदीमय हुए देश के माहौल के दम पर बीजेपी एकले ही चुनाव लड़कर सत्ता हासिल करने का दम भर रही है। खुद मुख्यमंत्री ये मानते हैं कि बीजेपी अगर पूरी ताक़त लगाए तो पूर्ण बहुमत खुद के दम पर मिल जाएगा लेकिन वो सत्ता के लिए शिवसेना के साथ वादाखिलाफी नहीं कर सकते।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘हमारे कई लोगों को लगता है कि 100 फीसदी बहुमत आएगा लेकिन ऐसा नहीं होता कि आज दोस्ती और कल हमारे स्वार्थ के लिए हम दोस्त छोड़ दें। लोकसभा के समय हमने एक साथ जाने का तय किया। ये बात सही है कि उस समय की और आज की परिस्थिति में काफ़ी अंतर है। बीजेपी की ताकत इतनी बढ़ी है कि सहज रुप से हमारे कार्यकर्ताओं को लगता है कि ज़्यादा सीटें लड़नी चाहिए लेकिन मैं ये कहूंगा कि हम गठबंधन में लड़ेंगे।’
लेकिन इन दावों के बाद भी दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारों को लेकर मतभेद खत्म नहीं हुए हैं। इन्ही कारणों की वजह से प्रधानमंत्री का महाराष्ट्र दौरा अहम माना जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इस दौरे में शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की मोदी से मुलाक़ात हो सकती है और इस बैठक में ही गठबंधन पर अंतिम मोहर लग सकती है।
बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि इस बार गठबंधन में शामिल छोटी पार्टियों को भी बीजेपी उनके चुनाव चिन्ह कमल पर चुनाव लड़ने के लिए राज़ी कर रही है। खबरें है कि रामदास आठवले, महादेव जानकर, सदाभाउ खोत जैसे नेता अपनी पार्टी को बीजेपी में विलीन कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी 160 सीटें पर नहीं तो 178 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे हालात में बीजेपी खुद के दम पर सत्ता हासिल भी कर सकती है और यही डर शिवसेना को है और वो ज़्यादा से ज़्यादा सीटें अपने नाम पर करना चाहती है।
वहीं शिवसेना इन खबरों को केवल अफवाह करार दे रही है। शिवसेना के नेता संजय राउत का कहना है कि ‘कोई कितनी भी खबरें दे दे या अफ़वाह उड़ा दे।गठबंधन के समीकरण अमित शाह, उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडनवीस के बीच ही तय होंगे। ’शिवसेना को 125 से ज़्यादा सीटें मिलने का विश्वास है लेकिन हाल के माहौल को देखकर ऐसा होने की संभावना कम ही नज़र आ रही है। यानि गठबंधन हुआ तो बीजेपी की शर्तों पर ही होगा, वरना नहीं होगा।
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