117 साल पुरानी बिल्डिंग गिरने से 34 की मौत

मरने वालों को पांच लाख का मुआवजा- सीएम

मुंबई। गुरूवार 31 अगस्त को दक्षिण मुंबई के भिंडी बाजार में जेजे जंक्शन स्थित करीब 117 वर्ष पुरानी छह मंजिला हुसैनी बिल्डिंग के ढह जाने से अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 15 लोग घायल हैं। इस हादसे में 6 दमकलकर्मी भी घायल हुए हैं।

मनपा के मुताबिक, सुबह 8:30 बजे घटना की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम घटनास्थल के लिए रवाना हो गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए कुछ ही देर में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बचाव बल (एनडीआरएफ) की टीम को भी बुला लिया गया। एएनआई के मुताबिक, 34 लोगों की मौत हो चुकी है। एनडीआरएफ की टीम 13 लोगों को बचाने में कामयाब हुई है। बचाव कार्य पूरी रात चलता रहा।

राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने हुसैनी इमारत के ढहने पर गहरा दुख प्रकट किया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मृतकों के परिजनों के लिए 5 लाख रुपये मुआवजे और घायलों के उपचार का खर्च उठाने का ऐलान किया। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृहनिर्माण) ने हादसे की जांच का आदेश दिया है। जैसे जैसे मलबे में से लोगों को निकाला जाने लगा, मृतकों की संख्या बढ़ने लगी। स्थानीय लोगों ने भी बचाव कार्य में मदद की।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और गृहनिर्माण मंत्री प्रकाश मेहता भी घटनास्थल पर पहुंचे। बारिश न होने से बचाव के काम में दिक्कत नहीं आई। घटना स्थल से जेजे अस्पताल करीब होने के कारण घायलों को उपचार मुहैया कराया गया। मरने वालों में ज्यादातर मजदूर थे।

 

बाल-बाल बचे बच्चे
इसी इमारत में छोटे बच्चों का प्ले ग्रुप भी था। उसमें बच्चे 2 घंटे बाद आते। इसलिए उनकी जान बच गई। अगर हादसा 2 घंटे बाद हुआ होता, तो शायद बच्चे भी इसकी चपेट में आ जाते। एक स्थानीय नागरिक ने बताया, ‘आसपास के तमाम बच्चे वहीं पढ़ने जाते थे। अल्लाह का शुक्र है कि वे बच गए।’

पूरी खाली नहीं हुई थी इमारत
दरअसल, भिंडी बाजार पुनर्विकास के तहत इस पूरे इलाके को क्लस्टर रीडिवेलपमेंट में विकसित करने की शुरुआत हुई है। इसका जिम्मा सैफी बुरहानी अपलिफमेंट ट्रस्ट (एसबीयूटी) के पास है। हुसैनी इमारत सेस श्रेणी में होने के चलते इसकी मरम्मत का काम मुख्य तौर पर म्हाडा का था।

म्हाडा के अधिकारी ने बताया, ‘चूंकि हमने पुनर्विकास के लिए मंजूरी दे दी है, इसलिए जिम्मेदारी बिल्डर की होती है। सामान्य मामलों में हम इमारत का निरीक्षण कर उसकी मरम्मत की प्रक्रिया आगे बढ़ाते हैं।’ पुनर्विकास के तहत इमारत के 7 परिवारों ने ट्रांजिट कैंप में शरण ले ली थी, लेकिन कुछ परिवार इमारत में बचे रहे। वही हादसे का शिकार हुए हैं।

म्हाडा के रिपेयर बोर्ड के मुख्य अधिकारी सुमंत भागे ने कहा, ‘हुसैनी इमारत हादसे के लिए सैफी बुरहानी अपलिपटमेंट ट्रस्ट जिम्मेदार है। म्हाडा ने इमारत की मरम्मत करने या इसे तोड़ने के बारे में भेजे 2 नोटिसों के बावजूद उसने कोई कदम नहीं उठाया। इमारत खाली कराने में एसबीयूटी भी असफल रहा।’

एसबीयूटी की तरफ से हादसे पर दुख जताते हुए कहा गया है कि संबंधित एजेंसियों की मदद की जा रही है। म्हाडा ने भी इमारत को जर्जर होने के चलते दो नोटिस पहले ही जारी किए थे। लेकिन कुछ लोगों ने घर खाली नहीं किए। वहीं स्थानीय लोगों ने दावा किया है की इस इमारत के रहिवासियों को कोई नोटिन नहीं मिला है।

क्या है नियम
जर्जर इमारत को यदि लोग खाली नहीं कर रहे हैं, तो बिजली और पानी की कटौती करके उन्हें खाली कराना चाहिए। इसमें पुलिस बल का भी सहयोग लिया जा सकता है।

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