BEST: मासिक पास धारकों की भरपाई कौन करेगा

बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश, एक घंटे में हड़ताल खत्म

मुंबई। बेस्ट की बसों का हड़ताल नौवें दिन बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बुधवार की शाम करीब पांच बजे खत्म हो गया। लेकिन मासिक पास धारकों का नुकसान कौन भरेगा। आंकड़ों के मुताबिक रोजाना बेस्ट बसों का इस्तेमाल करने वाले मुंबई शहर के 29 लाख यात्रियों की मुश्किलें अब खत्म हो गई। हड़ताल का मुख्य उद्देश्य यह था कि बेस्ट के बजट को मनपा के बजट में विलय किया जाए।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाइ ऐंड ट्रांसपोर्ट के बस कर्मचारियों की हड़ताल को खत्म करने का निर्देश दिया है। साथ ही अदालत ने बेस्ट कर्मचारी संगठनों को एक घंटे के भीतर हड़ताल खत्म करने का ऐलान करने को भी कहा है। इससे पहले मंगलवार रात तक वापस लेने का बॉम्बे हाईकोर्ट का जुबानी निर्देश मानने से बेस्टकर्मियों ने इनकार कर दिया था।

बेस्ट कर्मचारियों की हड़ताल बुधवार को नौवें दिन में पहुंच गई है। बेस्ट कामगार संयुक्त कृति समिति ने हाईकोर्ट में दिए गए बेस्ट प्रशासन के प्रस्ताव की तीखी आलोचना की थी। समिति के अध्यक्ष शशांक राव ने आरोप लगाया कि इसके पीछे कर्मचारियों को कटौती करने और बेस्ट के निजीकरण का छुपा अजेंडा है।

गौरतलब है कि बुधवार की शाम करीब पांच बजे से कमो-बेस बेस्ट की बसें मुंबई की सड़कों पर दिखाई देने लगी। अब यहां मासिक पास वालों का मुद्दा गरमाने लगा है। बताया जाता है कि जो लोग पूरे महीने का पास बनवाते हैं। उन्हें पास रहते हुए 9 दिनों पर ऑटो रिक्शा, टैक्सी और लोकल ट्रेन का सहारा लेना पड़ा। इसकी भरपाई कौन और कैसे करेगा।

बहरहाल इससे पहले, बेस्ट कामगार कृति समिति से अदालत ने कहा कि बेस्ट प्रशासन ने फरवरी महीने से कर्मचारियों के वेतन बढ़ाने की गारंटी दी है, बाकी मांगों पर भी वह बातचीत करने के लिए तैयार है। इसी आधार पर अदालत ने यूनियन को हड़ताल वापस लेने का मौखिक निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा, आपकी मांगों को लेकर हम बेस्ट को टाइम टेबल बनाकर देंगे।

आज रात तक हड़ताल वापस लेने का निर्णय करें। कल सुबह हमें इस बारे में सूचित करें। कोर्ट ने यूनियन को ध्यान दिलाया कि वेतन बढ़ाए जाने की गारंटी मिल चुकी है और बाकी मांगों को लेकर चर्चा का रास्ता खुला हुआ है। बुधवार को हाईकोर्ट में हड़ताल के मुद्दे पर फिर सुनवाई होती है। अब देखना यह है कि हड़ताल वापस लेने के निर्देश का पालन न होने पर हाईकोर्ट क्या रुख अपनाता है।

 


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