मुंबई। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में सूखे से बेहाल किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला फिर शुरू हो गया है। बीते 8 दिनों में 34 तो पिछले 8 महीने में 580 किसानों ने आत्महत्या की। औरंगाबाद के विभागीय आयुक्त के आंकड़ों के मुताबिक औसतन रोज चार किसान आत्महत्या कर रहे हैं। औरंगाबाद जिले में 5, बीड में 12, नांदेड में 9, परभणी में 7, जालना में 6, लातूर में 5, उस्मानामबाद में 4 और हिंगोली जिले में एक किसान ने आत्महत्या की है।
विभागीय आयुक्त की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2017 से 15 अगस्त 2017 तक मराठवाडा में 580 किसानों ने आत्महत्या की है। हालांकि अधिकारिक तौर पर इन आत्महत्याओं की वजह साफ नहीं की गई है, लेकिन मराठवाड़ा में इस साल फिर से बन रही सूखे की स्थिति को इसकी मुख्य वजह माना जा रहा है। पिछले 48 दिन से मराठवाड़ा में एक बूंद भी बारिश नहीं हुई है। वहां कई जिलों में किसानों की पहली बुआई कम बारिश की भेंट चढ़ने के बाद दूसरी बुआई भी बर्बाद हो गई है।
1- पिछले चार-पांच साल से मराठवाड़ा में कम बारिश से सूखा
2- सिंचाई की अब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं
3- जुलाई अंत तक 355 में से 223 तहसीलों में औसतन 75 प्रतिशत से भी कम बारिश
4- अब तक नहीं मिला कर्ज माफी का लाभ
5- इस साल की बुआई के लिए लिया गया कर्ज न चुका पाने का डर
मराठवाड़ा में बदहाली
2014 में 551 आत्महत्याएं
2015 में 1133 आत्महत्याएं
2016 में 1053 आत्महत्याएं
मराठावाड़ा में छोटे, मंझोले और बड़े मिलाकर कुल 34 लाख 82 हजार 643 किसान हैं। इनमें से छोटे किसानों की संख्या 14 लाख 3 तीन हजार 341 है। उनके पास 2 एकड़ या उससे कम कृषि भूमि है। इसके अलावा 2 से 5 एकड़ कृषि भूमि वाले मंझोले किसानों की संख्या 13 लाख 32 हजार 559 है।
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