मुंबई। डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च (डीएमईआर) ने महाराष्ट्र के 4.500 डॉक्टरों को ‘झोलाछाप’ घोषित कर दिया है। इनमें मुंबई के मेडिकल कॉलेजों के भी 2,500 ग्रेजुएट शामिल हैं। इन डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य एक वर्ष सेवा न करने की वजह से ‘झोलाछाप’ माना गया है।
डीएमईआर ने उन 4,500 डॉक्टरों की एक लिस्ट तैयार की है, जिन्होंने एमबीबीएस की डिग्री मिलने के बाद ग्रामीण क्षेत्र में एक साल की अनिवार्य सेवा नहीं की है। इसके लिए उन्होंने पेनल्टी भी नहीं दी है। सभी डॉक्टरों को हर पांच साल में महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमएमसी) के साथ पंजीकरण कराना होता है। इन 4,500 डॉक्टरों ने अपने ग्रामीण सेवा बॉन्ड का उल्लंघन किया, इसलिए इनका पंजीकरण रद्द कर दिया गया है।
सरकारी विद्यालयों से स्नातक होने वाले मेडिकल छात्रों को एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के पांच साल के भीतर एक वर्ष के लिए एक गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर काम करने का बॉन्ड भरना होता है। अगर वे बॉन्ड की सेवा नहीं देते हैं, तो उन्हें पेनल्टी का भुगतान करना होगा, जो एक एमबीबीएस डॉक्टर के लिए 10 लाख रुपये, पोस्टग्रेजुएट्स के लिए 50 लाख रुपये और सुपर-स्पेशलिटी डॉक्टरों के लिए 2 करोड़ रुपये होती है।
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