साभार/ मुंबई। मुंबई में हुए इतिहास के सबसे भयानक आतंकी हमले को 10 साल हो गए हैं। पाकिस्तानी आतंकियों ने ताज और ट्राइडेंट होटल के साथ-साथ छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हमला किया था। देश के कुछ बहादुर पुलिसकर्मियों और एनएसजी के जवान ने इन आतंकियों का डटकर सामना किया और कई लोगों की जान बचाई। उनमें से 5 ने देश और देश के लोगों की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।
आइए आज देश के उन 5 हीरों के बारे में जानते हैं…
मुंबई एटीएस के चीफ हेमंत करकरे रात में अपने घर पर उस वक्त खाना खा रहे थे, जब उनके पास आतंकी हमले को लेकर क्राइम ब्रांच ऑफिस से फोन आया। हेमंत करकरे तुरंत घर से निकले और एसीपी अशोक काम्टे, इंस्पेक्टर विजय सालस्कर के साथ मोर्चा संभाला। कामा हॉस्पिटल के बाहर चली मुठभेड़ में आतंकी अजमल कसाब और इस्माइल खान की अंधाधुंध गोलियां लगने से वह शहीद हो गए। मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। करकरे ने मुंबई सीरियल ब्लास्ट और मालेगांव ब्लास्ट की जांच में भी अहम भूमिका निभाई थी।
मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले ही वह जांबाज थे, जिन्होंने आतंकी अजमल कसाब का बिना किसी हथियार के सामना किया और अंत में उसे दबोच लिया। इस दौरान उन्हें कसाब की बंदूक से कई गोलियां लगीं और वह शहीद हो गए। शहीद तुकाराम ओंबले को उनकी जांबाजी के लिए शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
अशोक काम्टे मुंबई पुलिस में बतौर एसीपी तैनात थे। जिस वक्त मुंबई पर आतंकी हमला हुआ, वह एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ थे। कामा हॉस्पिटल के बाहर पाकिस्तानी आतंकी इस्माइल खान ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी। एक गोली उनके सिर में आ लगी। घायल होने के बावजूद उन्होंने दुश्मन को मार गिराया।
एक समय मुंबई अंडरवर्ल्ड के लिए खौफ का दूसरा नाम रहे सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर कामा हॉस्पिटल के बाहर हुई फायरिंग में हेमंत करकरे और अशोक काम्टे के साथ आतंकियों की गोली लगने से शहीद हो गए थे। शहीद विजय को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन नैशनल सिक्यॉरिटी गार्ड्स (एनएसजी) के कमांडो थे। वह 26/11 एनकाउंटर के दौरान मिशन ऑपरेशन ब्लैक टारनेडो का नेतृत्व कर रहे थे और 51 एसएजी के कमांडर थे।
जब ताज महल पैलेस और टावर्स होटल पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी आतंकियों से लड़ रहे थे तो एक आतंकी ने पीछे से उन पर हमला किया जिससे घटनास्थल पर ही वह शहीद हो गए। मरणोपरांत 2009 में उनको अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
इन पांच बहादुरों के अलावा हवलदार गजेंद्र सिंह, नागप्पा आर.महाले, किशोर के.शिंदे, संजय गोविलकर, सुनील कुमार यादव और कई अन्य ने भी बहादुरी की मिसाल पेश की।
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