बिल्डरों के चक्कर में परियोजना पर फिरा पानी

घर के आस में सैकड़ो की मौत, सर्वे हुआ परिणाम शून्य

मुंबई। खुद के घर का सपना देखते -देखते सैकड़ो वाशीनाका के लोगों की मौत बिल्डरों के चक्कर में हो चुकी है, इसके बाद भी कोई पात्र तो कोई अपात्र के भवंर में सरकारी दफ्तरों की खाक छान रहा है। इस दौरान पीएपी की टिमटिमाती उम्मीद की किरण दिखाई दी, लेकिन वह भी इस्लामपुरा व शरदनगर के लोगों का साथ छोड़ गई। पीएपी परियोजना से कुछ लोगों को आस बंधी थी, की शायद अब कोई चमत्कार हो जाए। लेकिन यहां तो माहूल के नर्क में भेजने की तैयारी की गई थी। जबकि इसके बाद की कई परियोजनाएं पूरी हुई और लोग वर्षों से उनमें रह रहे हैं।

गौरतलब है कि एसआरए स्कीम के तहत वाशीनाका की झोपड़पट्टियों का विकास होना है। इसके लिए वर्ष 2006 से अब तक दर्जनों बार इस्लामपुरा व शरदनगर का सर्वे विभिन्न विभागों द्वारा कराया जा चुका है। सर्वे करने वालों में कभी चेंबूर के उप-जिलाधिकारी अतिक्रमण, तो कभी चरिश्मा बिल्डर व मनपा द्वारा कराया गया। लेकिन करीब 14-15 वर्षों में यहां विकास के नाम पर सिर्फ धोखा दिया जाता रहा है। ऐसे में खुद के घर का सपना देखते-देखते 2006 से अब तक सैकड़ो लोगों की मौत हो चुकी, लेकिन उनके घर का सपना पूरा नहीं हो सका। इन वर्षों में यहां के लोगों को विकास के नाम पर सिर्फ और सिर्फ धोखा दिया जाता रहा है।

बताया जाता है कि पहले एसआरए स्कीम के तहत वर्ष 2006 से अब तक कई बार यहां के झोपड़ों का सर्वे सरकारी अधिकारी व बिल्डरों द्वारा कराया गया, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। इस दौरान चरिश्मा बिल्डर ने वाशीनाका के इन दोनों नगरों की जमीन पर अपनी दावेदारी पेश कर इस्लामपुरा में खुद विकास करने का फैसला किया। लेकिन उस समय इस्लामपुरा की जनता चरिश्मा बिल्डर के पक्ष में नहीं थी। यह बात वर्ष 2009 से 2011-12 के बीच का है। इसके बाद यहां के नागरीकों ने अपने तौर पर इस्लामपुरा व शरदनगर के विकास के लिए कई बिल्डरों से संपर्क साधा, बिल्डर मिले भी लेकिन दोनों नगरवासियों का सर्मथन नहीं मिला।

यहां दोनों नगरों के लोग दो हिस्सों में बंट गए। वहीं शरदनगर की जनता ने बाबा बिल्डर को अपनी पहली पसंद बनाते हुए सर्मथन दे दिया। इसके बाद बाबा बिल्डर और चरिश्मा के बीच अदालती जंग शुरू हुआ जो अब भी जारी है। इस दौरान इस्लामपुरा के करीब 80 फीसदी लोगों ने धीरे-धीरे अपना सर्मथन चरिश्मा बिल्डर को दे दिया। सर्मथन मिलने के बाद चरिश्मा बिल्डर द्वारा 269 स्कवायर फीट का प्लान बना कर लोगों के सामने पेश किया। इससे इस्लामपुरा के लोग बहुत खुश थे। सूत्रों की माने तो इस बार चरिश्मा बिल्डर ने इस्लामपुरा के प्रोजेक्ट को दनपतराज मेहता के हाथों बेच दिया। मेहता पिछले पांच वर्षो से बिल्डिंग बनाने की बात करते हैं, लेकिन परिणाम? इस्लामपुरा के लोगों की समस्याएं यहीं खत्म नहीं हुई।

इस दौरान वाशीनाका के बड़े नाले का विस्तारीकरण को लेकर मनपा द्वारा सर्वे कर लोगों को नोटिस दिया गया। इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए मेहता ने चरिश्मा बिल्डर के लेटर पैड पर मनपा के कार्यकारी अभियंता भस्कर कसगीकर को लिखित रूप से नाला के दोनों तरफ के लोगों को पुनर्वसन कराने की जिम्मेदारी ली। मेहता के उक्त पत्र को मनपा के कार्यकारी अभियंता कसगीकर ने मान लिया। इसके पीछे की फिल्म से अंजान लोगों को थोड़ी राहत मिली। हालांकि इस दौरान मनपा के अधिकारियों द्वारा परियोजना प्रभावित परियोजना (पीएपी) के तहत जबरन इस्लामपुरा के लोगों को माहूल के म्हाडा कालोनी में भेजना शुरू कर दिया।

जबकि माहूल के म्हाडा कॉलोनी में जन सुविधाओं का आकाल है। इसके बावजूद बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए मनपा के अधिकारियों द्वारा इस्लामपुरा के पात्र लोगों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। इनमें अपात्र लोग सरकारी दफ्तरों की खाक छान रहे हैं। वहीं इसके बाद एसआरए के तहत शुरू हुई परियोजनाएं पूरी हुई, और अब उनमें लोग रह रहे हैं। यहां की जनता ने राज्य सरकार से अपील की है कि वाशीनाका के इस प्रोजेक्ट को सरकारी तरीके से निविदा निकाल कर योग्य बिल्डर को दे। ताकि बड़े नाले का काम भी हो सके और लोगों को अपने घर का सपना भी पूरा हो सके। क्योंकि यहां की जनता को अब किसी भी बिल्डर पर भरोसा नहीं है।

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