अशोक सिंह/ बगोदर (गिरिडीह)। अफगानिस्तान (Afghanistan) से 6 मई 2018 को तालिबान के बालगान प्रांत से अज्ञात बंदुकधारियों द्वारा अपहृत गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखण्ड अन्तर्गत महुरी निवासी हुलास महतो तथा घाघरा निवासी प्रसादी महतो की दो साल बीत जाने के बाद भी अब तक रिहाई नहीं हो पाया है। इससे परिजनों की उम्मीदें अब बिखरने लगी हैं। परिवार वाले उनकी वापसी के लिए सरकार से पिछले एक वर्ष से लगातार गुहार लगा रहें हैं।
तब के तात्कालीन बगोदर विधायक नागेन्द्र महतो विदेश मंत्री को मजदूरों की सकुशल वापसी के लिए चिट्ठी भी लिख चुके थे। यही नही भाकपा माले द्वारा बगोदर से लेकर दिल्ली तक तत्कालीन राज्य व केन्द्र सरकार के विरुद्ध रैली जुलुस कार्यक्रम कर मजदूरों की सकुशल वापसी की मांग की गयी थी। वहीं विधानसभा चुनाव के बाद सभी राजनीतिक दल चुप हो गए। लेकिन जिनके परिवार पिछले दो वर्षों से सात समंदर पार आखिर किस हालत में हैं। यह भी जानकारी नहीं मिल पा रही है, ऐसे में परिजन कैसे चुप रहेगें।
बता दें कि अफगानिस्तान के बघलान प्रांत से 6 मई 2018 को जिन सात भारतीयों को तालिबानी बंदुक धारियों ने अगवा किया था। उनमें तीन मजदूर गिरिडीह जिले के बगोदर और एक मजदूर हजारीबाग जिले के टाटी झरिया का रहनेवाला था।अगवा मजदूरों में बगोदर के घाघरा निवासी प्रकाश महतो व प्रसादी महतो, महुरी के हुलास महतो और टाटीझरिया के बेडम के काली महतो शामिल थे। इनके अलावा अन्य तीन मजदूरों में एक मंटू सिंह (बिहार), राजन कौशिक, मुरलीधरन केरल के रहनेवाले थे। इनमें से झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड के घाघरा निवासी प्रकाश महतो,हजारीबाग जिले के टाटीझरिया के काली महतो व केरल निवासी राजन कौशिक व मुरलीधरन की वापसी हो चुकी हैं।जबकि झारखंड के हुलास महतो,प्रसादी महतो व बिहार के मंटू सिंह की रिहाई अबतक नहीं हो पाया है। अगवा मजदूर केइसी-आरपीजी ग्रुप में कार्यरत थे। सभी बिजली सब स्टेशन में टावर लगाने का काम करते थे।
363 total views, 1 views today