एस.पी.सक्सेना/ बोकारो। कहा गया है कि अजब दुनियाँ में गजब के कारनामे सामने आते रहते हैं। हमारे देश भारत में जनमानस किसी के अहम योगदानों को भूलकर भिरुता पर ज्यादा विश्वास करती रही है। कुछ इसी प्रकार के विचारो को लेकर अपने अनुभवों को साझा कर रहे हैं झारखंड के प्रखर राजनीतिक विश्लेषक व् व्यंगकार विकास सिंह के विचार:-
कांग्रेस भ्रष्ट थी। कांग्रेस लूटेरी थी, अनर्थकारी थी। फिर भी उसने कुछ ऐसे काम किये जिससे जनता की ताकत मजबूत हुई। भ्रष्टाचार पर अँकुश लगाने में शासन को बल मिला।
जैसे – सूचनाधिकार कानून, वनाधिकार कानून (जँगल पर वहाँ के स्वाभाविक निवासी आदिवासियों का अधिकार कानून), शिक्षा का अधिकार आरटीई (राईट टू एडुकेशन), भोजन का अधिकार आरटीएफ (राईट टू फूड), मोटर वेहिकल एक्ट में सँशोधन द्वारा दुर्घटनाग्रस्त को मुआवजे का अधिकार और सबसे बड़ी बात कि ग्रामीण गरीबों को कम से कम 100 दिन का रोजगार (मनरेगा) आदि।
अब देखिये हमारे धर्माधिकारियों की सरकार के कारनामे – पेंशन समाप्त, मँहगाई भत्ता समाप्त, सभी लाभ प्रद सरकारी उद्योगों की कौड़ियों के मोल बिक्री, मनरेगा में फंड नहीं, किसानों की दुर्दशा के कारण आत्महत्या, वोट के लिये अपने हीं जवानों की हत्या (पुलवामा), साम्प्रदायिकता का नंगा नाच, रिजर्व बैंक के सारे रिजर्व फंड की लूट, भाजपाई नेताओं और उनके दलालों द्वारा बैंकों में जमा जनता की गाढ़ी कमाई की लूट, मूर्खतापूर्ण हरकतों से जग-हंसाई, गरीब मजदूरों पर अत्याचार, स्ंवेदना विहीन सरकार, महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों में बेतहाशा वृद्घि, श्रम कानूनों की समाप्ति, चुनाव आयोग-सूचना अधिकार कानून-न्यायपालिका सबकी स्वायत्तता समाप्त, लोकतंत्र-स्ंविधान-मानवाधिकार सबकी ऐसी-तैसी। सबसे बड़ी बात कि लोकतंत्र के हनन के नरमेघ यज्ञ में मानव रक्त-मांस की समिधा एवं आहूति !!
449 total views, 1 views today