कोल माफियाओं की कारस्तानी
एस.पी.सक्सेना/ धनबाद। जाली पेपर के सहारे करोड़ों का काला खेल। जी हां आपने सही सुना। यह कारनामा इन दिनों धनबाद (Dhanbad) जिला के हद में के बाघमारा में खेला जा रहा है। इन दिनों कतरास से बड़े पैमाने पर कोयले की तस्करी की बात सामने आ रही है। सूत्रों की माने तो लोकल लिंक और पुलिस वालों के सहारे यह काला खेल बदस्तूर जारी है।इस गोरखधंधे में सीआईएसएफ की संदिग्ध भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। तस्करी में करोड़ों का वारा न्यारा हो रहा है।सूचना के अनुसार बाघमारा के सिजुआ क्षेत्र की बासुदेवपुर कोलियरी से फर्जी दस्तावेज के जरिए कोयला का काला खेल घुन की तरह सिस्टम में समा चुकी है। अगर पुरे मामले की ठीक-ठाक जांच हो जाए तो सरकारी संपत्ति की लुट में कई अधिकारियों, बाबू एवं सीआईएसएफ की गर्दन भी फंस सकती है।
जबकि इस काले खेल में धनबाद पुलिस का दामन भी पाक साफ नहीं दिख रहा है। जानकारों की माने तो शक की सुई उनकी तरफ भी है। हालाकि तेतुलमारी पुलिस बीसीसीएल में कोयला के खेल की अलग-अलग मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच का नतीजा क्या होगा यह भविष्य के गर्त में है। एक बात आम है कि पुलिस कोयले की तस्करी में एफ आई आर दर्ज करती है। वाहन से पकड़े गए चालक को तो जेल भेज दिया जाता है लेकिन मालिक के गिरेबान तक शायद ही पुलिस के हाथ पहुंचते हैं। बासुदेवपुर कोलियरी का मामला इसका ताजा उदाहरण है। तेतुलमारी पुलिस ने तीन हाईवा पकड़े। उन पर प्राथमिकी दर्ज की गयी। तीनों हाइवा चालको को जेल भेज दिया गया, किंतु दर्ज मामले में सिर्फ मालिक शब्द का जिक्र कर पुलिस ने अपना कर्तव्य पूरा कर दिया। जबकि परिवहन विभाग के रिकॉर्ड में वाहन मालिक का क्या नाम है।यह आसानी से ऑनलाइन देखा जा सकता है।
सूत्रो के अनुसार कोलडैम से कोयला निकालने के लिए तस्कर ताक में लगे रहते हैं। तमाम पैठ और मिलीभगत के बावजूद मामले का खुलासा होने का डर बना रहता है। इसलिए तस्कर बड़ी चालाकी से दोपहर के वक्त बिना जांच कराएं कोल डंप में अपना वाहन घुसा देते हैं। कोलियरी कोल डंप के कर्मी पहले से ही तस्करों से मिले होते हैं। लोडर से सबसे पहले उक्त वाहनों पर कोयला लोड किया जाता है। फिर बिना जांच किए लोडिंग बाबू व सीआईएसएफ आसानी से वाहन को वहां से बाहर निकाल देते हैं। ऐसे वाहनों की कहीं कोई इंट्री कांटा नहीं किया जाता है।
मुख्य सड़क पर तस्करॉ द्वारा जाली कागज रख दिया जाता है। अगर किसी ने रोका भी तो कागज दिखाया वरना अपने गंतव्य स्थान के लिए रवाना हो जाता है। बताया जाता है कि बासुदेवपुर से तस्करी का मास्टरमाइंड एक रहिवासी है वह पहले भी कई कोलयरी से कोयला चोरी की घटना को अंजाम देता रहा है। उसके सुरक्षा बलों से गहरे ताल्लुकात है। चर्चा है कि कोयला गोविंदपुर भेजा जाता है। जानकारों की माने तो सरकारी अधिकारी,कोयला कर्मियों के अलावा सफेदपोस भी मोटी रकम वसूलते हैं। दो लाख रुपये के कोयला की आधी कीमत पर इसे में बेचा जाता है। जिसमें एक चौथाई बांट दिया जाता है। सप्ताह में 3 दिन भी तस्करी में सफलता पा ली तो महीनों में लाखों का वारा न्यारा निश्चित।
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