कोविड बीमा को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों ने खोला मोर्चा

रेजिडेंट डॉक्टरों ने सरकार को दी 7 दिनों की मोहलत

संतोष कुमार झा/ मुजफ्फरपुर (बिहार)। कोरोना (Coronavirus) काल में फ्रेशर्स हों या जूनियर डॉक्टर हर कोई जी जान से कोरोना मरीजों के उपचार में जुटा है। लेकिन अब रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कोविड बीमा को लेकर सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। कोविड इंश्योरेंस की मांग को लेकर आरडीए बिहार ने सरकार को चेतावनी दी है कि एक सप्ताह में रेजिडेंट डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर और इंटर्न का कोविड बीमा नहीं किया जाता है तो आगे डॉक्टर कार्य का बहिष्कार कर सकते हैं। पटना एम्स के चिकित्सक और आरडीए अध्यक्ष डॉक्टर विनय कुमार ने 31 जुलाई को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस आशय का पत्र भेजकर अल्टीमेटम दिया है।

डॉ विनय ने सरकार से मांग की है कि नियमित डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की तर्ज पर बीमा किया जाए। ताकि डॉक्टर सुरक्षा को लेकर निश्चिन्त रहें। वहीं रेजिडेंट डॉक्टरों को आईएमए ने भी समर्थन दिया है।

आईएमए के वरीय उपाध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने भी सरकार पर सौतेला व्यवहार का आरोप लगाते हुए कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर,जूनियर डॉक्टर, इंटर्न और असिस्टेंट प्रोफेसर पर सरकार का ध्यान नहीं है। जबकि सभी दिन रात कोरोना में जान की बाजी लगाकर ड्यूटी कर रहे हैं। कर्तव्य निर्वहन के दौरान अबतक राज्य के कई डॉक्टरों की कोरोना से जान भी चली गई है।

आईएमए ने साफ कहा कि इंटर्न हों या जूनियर डॉक्टर हर किसी की जान है और कोविड से कोई भी संक्रमित हो सकता है। फिर सरकार बिना बीमा किये डाक्टरों से कैसे ड्यूटी ले सकती है। बता दें कि राज्य स्थायी स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्सकों के लिए सरकार ने 50 लाख का कोविड बीमा का एलान किया था। जिसके बाद रेजिडेंट और जूनियर डॉक्टरों में सरकार के प्रति न सिर्फ नाराजगी बढ़ी है बल्कि आंदोलन करने तक को तैयार हैं।

उधर बिहार में 1 अगस्त से कोरोना जांच ठप हो सकती है। इससे सरकार की चुनौतियां बढ़ने वाली हैं। दरअसल बीएसएसी के रवैये से नाराज राज्यभर के लैब टेक्निशियंस एक अगस्त से हड़ताल पर जा रहे हैं। लैब टेक्निशियंस ने 4 दिन पहले ही सरकार और बीएसएससी को अल्टीमेटम दिया था कि सेवा स्थायी को लेकर हुई काउंसिलिंग की मेधा सूची जारी करें लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

गौरतलब है कि बीएसएससी ने वर्ष 2015 में ही सेवा स्थायी को लेकर विज्ञापन निकाला था। पांच साल बाद भी मेधा सूची जारी नहीं हुई। 31 जुलाई को पटना के गर्दनीबाग में लैब टेक्निशियंस पीपीई किट पहनकर प्रदर्शन करने पहुंचे और सरकार को चेतावनी दी।

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