अमरनाथ मिश्रा/ नारायणपुर (झारखंड)। केरल में आई प्रलयकारी बाढ़ में फंसे नारायणपुर थाना क्षेत्र के छायटांड गांव के लगभग 80 लोगों में से 16 लोग किसी तरह केरल से झारखंड स्थित अपने घर पहुंच गए हैं। इनमें सोहराब अंसारी, सद्दाम हुसैन, मो. नासिर, मो. परवेज, मो. बशीर, मेहमूद अंसारी, मो. कलाम, मो. शकूर, सिकंदर, मुख्तार, कलीम, कासिम आलिम, अनवर, असगर, सिराज अंसारी आदि का समावेश है।
भुक्तभोगियों के अनुसार एक तरफ पूरा देश जश्न मनाने के बाद थक हार कर आराम करने जा रहा था। वहीं केरल में बाढ़ का कहर शुरू हुआ। 15 अगस्त बुधवार, स्वतंत्रता दिवस का दिन ढलते ही बाढ़ का पानी धीरे-धीरे लोगों के घर में घुसने लगा और देखते ही देखते हम लोगों के रूम में लगभग तीन फीट पानी भर गया। तेजी से पानी भरता देख हमलोग रात में ही रूम से किसी तरह निकल कर बडाकरा रेलवे स्टेशन के लिए निकले पड़े। हालांकि रास्ते में भी बाढ़ का भयंकर नजारा देखने को मिला। इसके बावजूद हम सभी करीब चार किलोमीटर की दूरी तय कर स्टेशन पहुचे चुके थे। उस दिन समय से ट्रेन तो मिली लेकिन करीब 4 घंटे के सफर के बाद स्वरणूर स्टेशन पर गाड़ी पूरी तरह से रूक गई। क्योंकि रेलवे ट्रेक पर पूरी तरह पानी में डूबा हुआ था।
ऐसे में हम लोगों के साथ-साथ अन्य यात्री भी स्टेशन पर ही शरण लिए। भयंकर बाढ़ की स्थिति में हम लोगो को प्रशासन द्वारा खाना पानी दिया जा रहा था। स्वरणूर स्टेशन पर दो रात बिताने के बाद तीसरे दिन हमलोगों ने बस यात्रा कर किसी तरह पालकाट स्टेशन पहुंचे और वहां से फिर ट्रेन पकड़ कर तमिलनाडू कोयम्बटूर स्टेशन पहुंचे। कोयम्बटूर स्टेशन पर थोड़ा समय बिताने के बाद हम लोगों ने वहां से धनबाद के लिए ट्रेन पकड़ी जो रविवार देर रात गंतव्य तक पहुंचा दिया। धनबाद स्टेशन से बाहर निकलने के बाद हम लोगों ने राहत कि सांस ली और आटो से देर रात घर पहुचे। भुक्तभोगियों ने बताया की घर पहुंचते ही परिवार के सदस्यों में कहीं खुशी तो कहीं गम के आंसू थे। सुबह पास पड़ोस के लोग भी हम सभी को देख कर अचंभित थे। केरल के बाढ़ से निकल कर झारखंड पहुंचे एक भुक्तभोगी ने बताया की हमारे अन्य करीब 60 से 70 साथी अब भी वहां बाढ़ में फंसे हैं।
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