रांची। पुलिस ने मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी की दो सिस्टर्स और एक महिला कर्मचारी को नवजात बच्चों की बिक्री के आरोप में गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार की गई महिला और दो ननों पर आरोप है कि चैरिटी होम की महिला संचालक के साथ मिलकर कई नवजात बच्चों को बेच चुकी हैं। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार की गई मिशनरीज ऑफ चैरिटी की दोनों नन अब तक कुल चार बच्चों को बेच चुकी हैं।
कोतवाली पुलिस स्टेशन के प्रभारी श्यामानंद मंडल ने बुधवार को बताया कि इस मामले में आईपीसी (शोषण) की धारा 370 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है और तीन लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। उन्होंने बताया, ‘मामले में एक महिला समेत दो ननों को भी गिरफ्तार किया गया है। दोनों ननों ने कुल चार बच्चों को बेचा चुकी हैं, जिसमें से तीन बच्चों को झारखंड में जबकि एक बच्चे को उत्तर प्रदेश में बेचा है।’
मंडल ने बताया कि रांची की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने एक सप्ताह तक नियमित जांच में पाया कि संस्थान से एक बच्चा गायब हो गया है, जिसके बाद एफआईआर दर्ज कराई गई। सीडब्ल्यूसी के सदस्य प्रतिमा तिवारी ने कहा, ‘जेल रोड स्थित मिशनरी ऑफ चैरिटीज ऐसी अविवाहित माताओं को आश्रय देता है जिनके पास अपने बच्चों को जन्म देने के लिए कोई जगह नहीं होती है। एक सप्ताह पहले किए गए निरीक्षण में हमने पाया कि एक नर नवजात शिशु गायब था।’
जब सीडब्ल्यूसी सदस्यों ने वहां मौजूद नन में से एक से इसके बारे में सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि बच्चे की मां उसे ले गई है। प्रतिमा ने कहा, ‘हमने मां से संपर्क किया तो उसने बताया कि उसके पास बच्चे नहीं हैं। हमने फिर संस्थान बात की। तब सिस्टर्स ने यूपी के रहने वाले उस परिवार को बुलाया जिनको बच्चा 1.2 लाख रुपये बेचा गया था।’ मंगलवार को परिवार ने सीडब्ल्यूसी से संपर्क किया और बताया कि संगठन ने उनसे ‘अस्पताल शुल्क’ के रूप में पैसा लिया है।
सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार की गई संस्था की कर्मचारी अनीमा इंदवार ने बच्चों को अलग-अगल परिवारों को बेचने की बात कबूली है और पांच ऐसे बच्चों की एक लिखित सूची भी पुलिस को सौंपी है जिन्हें बेचे जाने थे। सामाजिक कार्यकर्ता बैद्यनाथ कुमार ने कहा कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने अक्टूबर 2015 में ही पूरे भारत में अपने संगठन से गोद लेने पर रोक लगा दी थी। लेकिन उनके रांची स्थित विंग ने बच्चों को गोद देना जारी रखा।
बैद्यनाथ ने बताया, ‘यदि आप संस्थान जाते हैं, तो अक्सर आपको गेट पर अपने बच्चों के बारे में पूछताछ करती एक या दो महिलाएं आपको नजर आ जाएंगी, जिन्हें उनका बच्चा नहीं मिला। 2016 में यह जानकारी मिलने के बाद मैंने उसी समय स्पेशल ब्रांच को इसकी जानकारी दे दी थी। इस संगठन की हर जिले में एक शाखा है और उनमें से प्रत्येक की जांच होनी चाहिए।’
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