प्रबंधकीय प्रयास नाकाफी
एस.पी.सक्सेना/ बोकारो। सीसीएल प्रबंधन की उदासीनता के कारण महीनों से कथारा कोल वाशरी के कोयला स्टाक में आग लगी है। जिसके कारण लाखो टन कोयला धू-धूकर जलकर राख बनता जा रहा है। प्रबंधन द्वारा अब तक आग पर काबू पाने का प्रयास पूरी तरह विफल रहा है। जानकारी के अनुसार कथारा वाशरी 10A कोयला स्टाक में लगभग 2.5 लाख टन उत्तम किस्म का कोयला का भंडार है। जिससे बीते मार्च माह से आग की चिंगारी निकलती रही है।
स्थानीय तथा क्षेत्रीय प्रबंधन यदि समय रहते प्रयास करती तो आज यह विकराल रूप नहीं उत्पन्न होता। जानकारों की माने तो वर्तमान में उक्त कोयले का बाजार मूल्य पचास करोड़ से अधिक की है। इतनी बड़ी राष्ट्रीय संपत्ति की क्षति का जिम्मेवार कौन है? आग लगे कोयला पर जल छिड़काव कर रहे मजदूर ताजुद्दीन तथा कैलाश रविदास के अनुसार वे अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। मजदूरों ने बताया कि उन्हें काम के दौरान किसी प्रकार का सुरक्षा उपकरण नहीं दिया गया है।
इस बावत स्थानीय परियोजना पदाधिकारी आर.सी सिंह ने बताया कि वे अपने अब तक के कार्यकाल में इस तरह का आग लगा नहीं देखे थे। पीओ सिंह के अनुसार उन्हें नहीं पता है कि कोयला स्टॉक में आग कैसे लगी है। पीओ सिंह ने बताया कि उनके द्वारा आग पर काबू पाने के लिए यहां पांच एचपी के चार पंप से लगातार पानी का फव्वारा के अलावा दो टैंकर से आग लगी कोयला पर जल छिड़काव कराया जा रहा है। पीओ सिंह ने बताया कि उनके परियोजना में एकसाथ सभी कोयला का निस्तारण संभव नहीं है इसलिए प्रतिदिन यहां से कम से कम ढाई से तीन हजार टन कोयला स्वांग वाशरी भेजकर जलते कोयले को बचाना।
पीओ ने संभावना व्यक्त करते हुए कहा कि वे पंद्रह से बीस दिन के भीतर आग पर काबू पाने लेंगे। जल छिड़काव में मजदूरों की बारिश और सुरक्षात्मक उपाय के संबंध में पीओ ने कहा कि यथाशीघ्र उन्हें आवश्यक सामग्री उपलब्ध करा दिया जायेगा। इस संबंध में सीसीएल के डीटी (ओ) के तकनीकी सचिव केस गैवाल ने बताया कि जल रहे कोयला से निकलने वाला कार्बन मोनोआक्साइड गैस काफी खतरनाक होता है। उन्होने मामले में गंभीरता बरतने की बात कही।
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