वाड्रा और उनकी मां से ईडी ने दूसरी बार की पूछताछ

साभार/ जयपुर। राजस्थान के जयपुर में बीकानेर जमीन सौदा मामले में ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा से दूसरी बार पूछताछ की है। बुधवार को वाड्रा अपनी 75 वर्षीय मां मौरीन वाड्रा के साथ ईडी के समक्ष प्रस्तुत हुए थे। मंगलवार को ईडी ने उनसे धनशोधन निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में 8 घंटों तक पूछताछ की थी। सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को हुई पूछताछ में उनसे महेश नागर के बारे में पूछा गया था। नागर स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी के प्रतिनिधि हैं जिसके मालिक वाड्रा और उनकी मां हैं।

नागर वाड्रा की कंपनी और अशोक कुमार के बीच का सूत्र है। अशोक कुमार का नाम राजस्थान पुलिस ने इस मामले में एफआईआर में दर्ज किया है। दिसंबर 2017 में ईडी ने नागर के निकट सहयोगी अशोक कुमार और एक अन्य व्यक्ति जयप्रकाश बागरवा को गिरफ्तार किया था। ईडी ने अप्रैल 2017 में कुमार और नागर दोनों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। ईडी के अधिकारियों के मुताबिक नागर बीकानेर में जमीन खरीद के चार मामलों में प्राधिकृत प्रतिनिधि है। एजेंसी का आरोप है कि कुमार ने भी इसी इलाके में जमीन खरीदी जो दूसरे के ‘पॉवर ऑफ अटार्नी’ के माध्यम से खरीदी गई थी।

सूत्रों ने बताया कि वाड्रा से उनके कारोबार और लेन-देन को लेकर भी पूछताछ की गई। उनसे यह भी पूछा गया कि उनके पास कुल कितनी जमीन है और क्या बीकानेर में जमीन खरीदने के लिए उन्होंने कोई कर्ज लिया है? ईडी अधिकारियों के मुताबिक स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 72 लाख रुपये में 69.55 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी और उसे एल्लेजेनी फिनलीज को 5.15 करोड़ रुपये में बेच दिया। इससे कंपनी को कुल 4.43 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। एजेंसी ने राजस्थान पुलिस द्वारा फर्जीवाड़े के आरोपों में दर्ज मामले का संज्ञान लेते हुए धनशोधन अधिनियम 2015 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया है। एजेंसी ने पहले स्काइलाइट को नोटिस जारी किया था लेकिन एफआईआर में वाड्रा का या उनसे जुड़े किसी कंपनी का नाम नहीं था।

ईडी के मुताबिक जांच के दौरान पता चला कि एल्लेजेनी फिनलीज नामक कंपनी किसी वास्तविक व्यापारिक गतिविधियों में शामिल नहीं थी और इसके ज्यादातर शेयरधारक या तो डमी थे या उनका अस्तित्व ही नहीं था। सरकार ने हस्तांतरित किए गए 374.44 हेक्टेयर जमीन का आवंटन रद्द कर दिया था जब यह पाया गया कि उसे कथित रूप से ‘अवैध निजी लोगों’ के नाम पर हस्तांतरित किया गया है।

राजस्व अधिकारियों ने शिकायत में कहा था कि बीकानेर के 34 गांवों की सरकारी जमीन, जिसका इस्तेमाल सेना के लिए फाइरिंग रेंज के विस्तार के लिए किया जाना था उसे भूमाफियाओं ने ‘जाली और मनगढंत’ दस्तावेज तैयार कर के ‘हड़प’ लिया। ईडी को संदेह है कि जाली दस्तावेजों के माध्यम से सस्ते दर पर जमीन खरीदने के इस मामले में भारी मात्रा में धनशोधन किया गया है।

 

 


 286 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *