चेंबूर के घासवाले बाबा का मामला गरमाया

दरगाह को शहीद कर बिल्डर को फायदा पहुंचाने में जुटे अधिकारी

विशेष संवाददाता/ मुंबई। महाराष्ट्र शासन का रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद एमएमआरडीए और उप जिलाधिकारी द्वारा जबरन घासवाले बाबा की दरगाह पर तोड़क कार्रवाई कर पूरे परिसर को ध्वस्त कर दिया गया। वर्ष 2003 में रजिस्ट्रर्ड इस ट्रस्ट को पुलिस के भारी बंदोबस्त के बीच तोड़ने के साथ-साथ उक्त परिसर को पतरे से घेर दिया गया है।

इससे न केवल मुस्लिम समाज बल्कि बाबा के श्रद्धालुओं में रोष व्याप्त है। घासवाले बाबा ट्रस्ट के पदाधिकारियों का कहना है कि उपरोक्त विभाग के अधिकारियों ने बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए तोड़क कार्रवाई की है। इसका असर इस वर्ष के उर्स पर भी पड़ेगा।

हजरत सैय्यद गाजी सलार मलंग शाह कादरी उर्फ घासवाले बाबा ट्रस्ट की ओर से एमएमआरडीए और उप जिलाधिकारी द्वारा जबरन दरगाह परिसर में तोड़क कार्रवाई के मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। प्रेस कांफ्रेंस में दर्वेश वेलफेयर एसोसियेशन ऑफ इंडिया (डीडब्लूएआई) के अलावा देश के अन्य राज्यों से बाबा के श्रद्धालुओं ने शिरकत की।

डीडब्लूएआई के अध्यक्ष मुन्नाअली शाह जलाली ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त घासवाले बाबा ट्रस्ट को सरकारी अधिकारी नहीं मानते, जिसके कारण यह तोड़क कार्रवाई की गई। उन्होंने एमएमआरडीए और उप जिलाधिकारी के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारी अधिकारी ही नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ऐसे में इन अधिकारियों के खिलाफ हम अदालत में जाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं गुजरात से आए हाजी सुलेमान शाह कादरी ने कहा कि 10 मई 2016 को घासवाले बाबा के दरगाह शरीफ परिसर को ध्वस्त किया गया है। जो कि कानूनी तौर पर उचित नहीं है।

इस मुद्दे पर दरगाह ट्रस्ट के सदस्यों को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आश्वासन दिया था कि इसे भव्य बनाने में सरकार उनकी सहायता करेगी। वहीं ट्रस्ट के सदस्यों ने राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से दरगाह को अतिरिक्त जमीन देने के लिए आवेदन भी किया है।

इसके बावजूद तोड़क कार्रवाई से यह साफ होता है कि अधिकारियों ने बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए दल बल के साथ बाबा के दरगाह को तबाह किया है। दरगाह ट्रस्ट के उतराखंड अध्यक्ष चाहत अली शाह साबरी ने कहा कि 23 सितंबर से दस दिनों तक चलने वाले उर्स मुबारक से पहले ही रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद उपरोक्त विभागों द्वारा लगातार तीन दिनों तक तोड़क कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई में दरगाह को छोड़कर मस्जिद, मदरसा परिसर को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया।

वहीं घासवाले बाबा ट्रस्ट के अध्यक्ष जमाल बाबा एवं सचिव सुनिल सालवी का कहना है कि एमएमआरडीए और जिलाधिकारी द्वारा तोड़क कार्रवाई भेदभाव पूर्ण है। क्योंकि माहुल से वडाला जाने वाले एम पी टी मार्ग पर स्थित घासवाले बाबा दरगाह ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन 2013 में होने के बाद भी तोड़क कार्रवाई की वजह क्या को सकती है़?

दरगाह शरीफ का मामला चेंबूर के शिवसेना विधायक प्रकाश फातर्पेकर ने सामाजिक न्यायमंत्री विनोद तावडे के पास भी रखा था। हर तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद भी तोड़क कार्रवाई के पीछे का राज अदालत में ही खुलेगा।

दरगाह शरीफ को शहीद किये जाने से मुस्लिम समाज के लोगों में दोनों विभागों के प्रति रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि जिस राज्य में मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री की बातों को तरजीह न दी जाती हो उस राज्य की जनता का क्या होगा। इस मौके पर डीडब्लूएआई उपाध्यक्ष डॉ जमील अहमद, अब्दुल करीम शाह कादरी, फरीदाबाद से अशरफ अली शाह जलाली आदि गणमान्य मौजूद थे।

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