विशेष संवाददाता।
वंडर गर्ल
एक पुरानी कहावत है कि होनहारो के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। अगर इस कहावत को चरितार्थ देखना है तो 12 साल की अपार प्रतिभा सम्पन्न की धनी गीतिका रानमाले से मिलिए, जिन्होंने शास्त्रीय पद्धति पर आधारित कत्थक जैसे कठिन समझे वाले और हाव-भाव मुद्रा प्रधान इस नृत्य शैली में ऐसी पारंगत शिक्षा ली है कि देखने वाले दंग रह जाते हैं। अभी से गीतिका को वंडर गर्ल (Wonder Girl) का टाइटल मिल गया।
6 साल की उम्र से कर दी शुरुआत
ऐकल नृत्य वाली इस विधा में कुछ कर गुजरने की तमन्ना गीतिका रानमाले के मन में तभी आ गई थी जब वह महज 6 साल की थी। अपनी इस यात्रा का वृतांत सुनाते हुए गीतिका ने जगत प्रहरी को बताया कि शुरुआत में वह पहले जिम्नास्टिक्स में अपना भाग्य आजमाया करती थी परंतु उनसे इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं पैदा हुई और वह इससे अलग हटकर कुछ करना चाहने लगीं।
माता पिता का मिला सपोर्ट
गीतिका ने इसका जिक्र अपने मम्मी पापा से किया और उनकी मम्मी पापा ने अपनी बेटी की इच्छा पूरी करने के लिए तुरंत हामी भर दी और फिर ढूंढने लगे एक ऐसे गुरु को शास्त्रीय नृत्य की अच्छी शिक्षिका को जो उनकी प्रतिभा को अच्छी तरह से तराश सके। फिर क्या था। गीतिका का “नृत्यम: द कथक स्टूडियो” में प्रशिक्षण शुरू हो गया और देखते ही देखते गीतिका ऐसी विशेष मुद्राएं और हाव-भाव का सीख गई कि उनकी गुरु मंजिरी वाठारे भी देखकर दंग रह गई।
नृत्य के साथ पढ़ाई पर भी दिया बराबर ध्यान
इस दरमियान, कथक की ट्रेनिंग के अलावा गीतिका ने अपने पढ़ाई में भी पूरी तरह फोकस रखा। माता पिता की मदद से गीतिका ने स्कूल के होमवर्क तथा शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा में एक गजब का टाइम मैनेजमेंट किया और दोनों तरफ बराबर ध्यान दिया। थाने के वसंत विहार हाई स्कूल में आठवीं कक्षा में जाने वाली गीतिका स्कूल के डांस कंपटीशन और एनुअल डे में हमेशा अपनी प्रतिभा के जरिए लोगों को तालियां बजाने पर विवश कर देती हैं।
भविष्य के बारे में अभी नही सोचा
गीतिका ने ड्राइंग, पेंटिंग और पेपर क्विल्लिंग में अच्छी खासी महारत हासिल की है, पर प्रतिभा की धनी गीतिका ने अपना फ्यूचर कोर्स अभी डिसाइड नहीं किया है। और इस बाबत पूछे जाने पर वह बड़े ही शांत स्वभाव और मासूमियत से कहा, “कैरियर चुनने का वक्त अभी नहीं आया है। अभी तो मैं काफी छोटी हूं। मम्मी पापा से इस बारे में आगे चलकर ही कोई डिसीजन लिया जाएगा।”
बहुमुखी प्रतिभा की धनी है गीतिका
गीतिका के पिता रविंद्र रहने वाले ने बताया कि उनकी बेटी सिर्फ कत्थक जैसे शास्त्र में ही नहीं बल्कि अन्य क्रियाकलापों में भी काफी गहरी दिलचस्पी लेती है और उसने आपको साबित भी कर दिखाया है। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय मंडल द्वारा संचालित सभी परीक्षाओं को फर्स्ट क्लास श्रेणी में पास किया है। इसके अलावा स्कूल की सभी परीक्षाओं में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल किया है। यही नहीं, गीतिका स्कूल की थ्रो बॉल टीम की एक खिलाड़ी रही है और महाराष्ट्र लेवल के खेलों में हिस्सा लिया है। रविन्द्र ने कहा, “यही नहीं, जिम्नास्टिक में भी मेरी बेटी ने महाराष्ट्र राज्य स्तर पर कॉम्पटीशन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है।
क्या है कथक
मालूम हो कि उत्तर भारत की प्रसिद्ध भारतीय नृत्य शैली कथक नृत्य विश्व विख्यात है। कथक ऐकल नृत्य है, परन्तु अभिनय प्रयोगों के इस दौर में नृत्य, नाटिकाएँ तथा समूह में भी नृत्य होने लगे हैं। कथक का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग माना जाता है भाव के साथ अभिनय जो अपने आप में ही बोलता है। इस पक्ष के अंदर नर्तक “गत” तथा “भाव” में ठुमरी, भजन इत्यादि करता है जो बहुत ही मनमोहक होता है। ठुमरी को गाकर उस पर नृत्य करना इस नृत्य की विशेषता है। इसके अंतर्गत एक पंक्ति पर अनेक प्रकार से नृत्य करके दिखाया जाता है। सम्पूर्ण नृत्य में श्रिंगार रस का वर्चस्व होता है तथा अन्य रस सहारा ले कर यथा स्थान प्रकट किए जाते हैं।
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