मुंबई। फिल्म एवं सीरियल से लोगो को मनोरंजित करने वाले फिल्म एवं सीरियल निर्माता बेशक लोगो के लिए एक सफल निर्माता साबित हो सकते हैं किन्तु इनके सफल होने की प्रारंभिक सीढ़ी माने जाने वाले परदे के पीछे के कामगारों के लिए यह काफी दुखद दौर चल रहा है। निर्माताओं द्वारा अवहेलना किये जाने से कामगार अपनी मांगों को लेकर फिल्म सिटी के गेट पर 16 अगस्त से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर बैठे है। ऐसे में फिल्म सिटी में शूटिंग का काम कामगारों की हड़ताल के चलते प्रभावित हो रहा है मुंबई फेडरेशन के बैनर तले फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कामगार बिना अपनी मांगें पूरी होने से पूर्व काम पर नहीं जाना चाहते।
फिल्म एवं सीरियल में हीरो हीरोइन के नाम को तो सभी जानते है किन्तु उनकी शूटिंग को सफल बनाने वाला एक तबका ऐसा भी है जो कि इनके लिए शूट पर पूरी टीम को पानी पिलाने से लेकर उनके लिए धूप में छाता पकड़ना, सामान उठा कर चलना कदम से कदम मिला कर हर समय उनके काम के लिए तत्पर रहने के अलावा ऐसे भी लोग है जो कि हीरो द्वारा फिल्माएं जाने वाले खतरनाक सीन को अपनी जान पर खेलकर खुद पूरा कर हीरो को सुरक्षित रखतें हैं।
स्टंट आर्टिस्ट की सुरक्षा के लिहाज से कोई खास इंतजाम न होने से इनमे निर्माताओं के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है। मुंबई फेडरेशन के बैनर तले इस संस्था के अधीन 22 एसोसिएशन से अंतर्गत लगभग 450 कामगारों ने निर्माताओं की उदासीनता के चलते 16 अगस्त से फिल्म सिटी के गेट पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर बैठे हैं। फिल्म वर्करों का कहना है कि हमारी काम का समय निर्धारित किया जाये, सेट पर साफ सफाई, पैसा 11 पर्सेन्ट करने के अलावा काम करने के बाद पैसा तुरंत उसी माह में दिया जाये।
साथ ही कामगारों का शोषण बंद किया जाना चाहिए, काम के 8 घंटे तय करने और मूलधुत सुविधाएं मुहैया कराये जाने की मांगों को लेकर कामगार हड़ताल पर हैं। एसोसिएशन में मूवी स्टंट आर्टिस्ट, सिने डांसर्स एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ सिने एंड टीवी ऐड जैसी एसोसिएशन के लोग भी कामगारों के साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं कामगारों की हड़ताल को और अधिक ज्वलंत करने के लिए मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने इनके बीच में आकर इनकी मांगों को जायज ठहराया मंच से अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा की फिल्म इंडस्ट्रीज से से जुड़े लोगो को मेहनताना समय पर दिया जाना चाहिए यह उनका हक़ है।
इनकी साफ सफाई खाद्य और सुरक्षा इनके अधिकार हैं। जो कि इनको मिलना ही चाहिए। इसी तरह एसोसिएशन से जुड़े स्टैंट मैन रतन ने कहा कि हम लोग इंडस्ट्रीस से जुड़े हुए हैं और देखने वालों को लगता होगा की हम खुशहाल हैं किन्तु असल में हमारी मेहनत का पैसा 4 – 5 महीने तक नहीं दिया जाता कभी कभी 7 महीने भी लग जाते है , ऐसे में हमारा शोषण नहीं तो क्या है ? रतन का कहना है कि पैसे फंसे होने के कारण हम काम छोड़ कर कहीं और जा भी नहीं सकते।
इसके अलावा हमारी मुलभुत सुविधाओं की मांगे है जिसमे की शौचालय की समुचित व्यवस्था न होना है मौजूदा समय में महिला कामगार खुले में जाने को मजबूर हैं एक ऒर देश में शौचालय बनाने की ऐड संदेश को यहीं शूट किया जाता है और असलियत में यही इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा, जानेमाने एक्टर जीतू वर्मा ने कहा की हम इनके साथ हैं। इंडस्ट्रीस के और भी अभिनेताओं को भी इस समस्या से अवगत करा कर इस मंच तक लाने का प्रयत्न रहेगा।
युवा फ़िल्म निर्देशक निरंजन भारती नें फिल्म व सीरियल के टेक्निशियनों की मांग को सही कहा है। भारती ने बताया कि फ़िल्म व सीरियल निर्माताओं के पास स्टार कास्ट के लीए अच्छी बजट होती है, पर जब बात आती है लाइट मैन, कैमरा अटेंडेंड, मेकअप, स्पॉट बॉय, कोरियोग्राफर, म्यूजिक डायरेक्टर, फाइट मास्टर व कैरेक्टर आर्टिस्ट की तो निर्माताओं के पास ना ही पैसे होते हैं और ना ही इनलोगों के लिए बजट, फिर भी हमलोग अपनी ईमानदारी के साथ काम करते हैं। लेकिन शूटिंग खत्म हो जाने के बावजूद हम वर्करों की तय की गई रकम भी समय पर नही मिल पाती है। जिससे टेक्निशियनों को मुंबई में सर्वाइव करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
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