अमर स्नेह एक बार फिर बड़े परदे पर करेंगे वापसी

ईश्वर पाल सिंह/ मुंबई। देश के जाने-माने लेखक-निर्देशक अमर स्नेह (Amar Sneh) एक बार फिर बड़े परदे पर धमाकेदार वापसी करने के लिए तैयार हैं। अमर स्नेह ने लम्बे समय तक दूरदर्शन पर कार्य किया है और भारत के पहले टीवी, एटीएन में वरिष्ठ निदेशक के पद पर रहे हैं।

अमर स्नेह को उनकी अंतरराष्ट्रीय मेगा बजट फिल्म ‘द सोमाली दरविश’ (The Somali dervish) के बाद एक खास फ़िल्मकार के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने हमेशा संदेशपूर्ण, मनोरंजक और सार्थक सिनेमा को तरज़ीह दी है। अमर स्नेह अपनी आगामी हिंदी फिल्म में एक भिखारी की कहानी के ज़रिए समाज में व्याप्त सामाजिक बुराई और आर्थिक रूप से पिछड़े, वंचित, दबे-कुचले लोगों के ज्वलंत मुद्दों को उठा रहे हैं।

निर्माणाधीन फिल्म ‘तेरे ही सामने’ (Tere hi Samne) के बारे में अमर स्नेह ने बताया, “इस फिल्म का कथानक विलक्षण है जहां अभी तक किसी निर्माता की नजर नहीं गई थी। जमीन और आसमान के बीच एकदम एकाकी जीवन जीने वाले भिक्षाटन करने वालों की यह कहानी, मानव सभ्यता को अपने आप में समेटे हुए है”।

वह कहते हैं, “मानवीय संवेदनाओं से लबालब इस फिल्म में एक भिखारी केंद्रीय किरदार में है जिसके जीवन में सांस और आस का ऐसा अंजाना खेल है जिसमें प्रकृति ने जीवन जीने की वही शर्ते रख छोड़ी हैं जो हमारे और आप के लिये हैं, उसे भी वही चाहिए जो हमे चाहिए। इस बेबसीपूर्ण कहानी के माध्यम से मैंने मानवीय जीवन की आंतरिक व्यवस्था और अवस्था को चित्रित करने का प्रयास किया है। इसका नैरेटिव और ट्रीटमेंट अदभुत सम्भावनाओं से भरा है”।

प्रश्न है, “हमारे आसपास मौजूद भिखारी का किरदार कहाँ से आया? वह न तो आसमान से टपका और न ही वह अपनी मर्जी से पैदा हुआ, फिर क्यों वह समाज और जीवन की हर चीज से वंचित जीवन जीने को मजबूर है?” अमर स्नेह आगे कहते हैं, “बरसों के परिश्रम, अन्वेषण और अध्ययन के बाद यह विशेष कथा निर्मित हुई है जो बहुत ही नायाब है। जिसमें जीवन और समाज का हर पहलू बहुत ही दिलचस्प और सबरंग नजर आता है”।

अमर स्नेह भारत के बड़े कथाकार, कवि, साहित्यकार, फिल्म लेखक निर्देशक और नैसर्गिक रंगकर्मी, अभिनेता हैं। वह फिल्म, टीवी, रंगमंच, रेडियो में पिछले 50 वर्षों से कार्य करते आ रहे हैं। उनके छह सौ से ज्यादा व्यंग्य, कई किताबें और कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के जन जीवन पर भी कई लघु कथाएं लिखी हैं। अमर स्नेह की कई कहानियां खासी प्रसिद्ध हुई हैं जिनमें माँ, ख्याला, ओ मोतिया, विश्वगुरु आदि उल्लेखनीय हैं। वह भारत के पहले आदिवासी जननायक और पहले दिग्गज क्रांतिकारी बिरसा मुंडा पर भी फिल्म बना चुके हैं।

प्रकृति से विशेष लगाव के चलते अमर स्नेह आजकल मुम्बई, महाराष्ट्र से चलकर हिमाचल प्रदेश पहुंचकर अपनी नई पारी का आगाज़ कर रहे हैं। फिल्म निर्माण कंपनी ‘फिल्म बीट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ ने अमर स्नेह को इस फिल्म के निर्देशन और लेखन के लिए अनुबंधित कर लिया है। जिसके निर्माता कपिल सिंगला, कार्यकारी निर्माता आईजे सिंह और जयमाल जोहल हैं। हिमाचल प्रदेश के प्रति प्रकृतिप्रेमी अमर स्नेह का स्नेह बरसों पुराना है। स्नेह ने बताया कि इसकी अधिकतर शूटिंग मुम्बई, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल में होगी। जिसके जरिए वह चाहते हैं कि हमारे देश, खासकर हिमाचल प्रदेश जैसे खूबसूरत, प्राकृतिक टूरिज्म और वहां के युवा टैलेंट दोनों को देश- दुनिया में लोग जानें।

अमर स्नेह का संक्षिप्त परिचय

लेखक, निर्देशक, अभिनेता एवं फिल्म एकॅडमीशियन अमर स्नेह द्वारा लगभग पैंतालीस वर्षो से देश की स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, लेख एवं व्यंग्य लेखन। आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए, नाटक, फीचर और टेलीफिल्मों का लेखन। रंगमंच के लिए पैंतीस एकांकी एवं पूर्ण अवधि के नाटक। कुछ नाटकों एवं कहानी का कन्नड़, मराठी एवं अंग्रेजी में अनुवाद। रंगमंच, फिल्म, टेलीविजन और रेडियों पर लेखक, अभिनेता एवं निर्देशक के रूप में सक्रिय। मुंबई की प्रयोगधर्मी नाट्य संस्था थियटर लैब के निर्देशक एवं संस्थापक। प्रख्यात रंगकर्मी हबीब तनवीर के साथ नया थियटर में बरसों कार्य किया।

उत्तर प्रदेश के फिल्म एवं नाटक विभाग, भारत सरकार के गीत एवं नाटक विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दूरदर्शन और भारत के पहले टीवी, एटीएन (एशिया टेलिविजन नेटवर्क) मुम्बई में वरिष्ठ निर्देशक के रूप में कार्य कर चुके हैं। इस बीच विदेशों में फिल्म का निर्देशन सोलह देशों के कलाकारों को लेकर बनी फीचर फिल्म ‘द सोमाली दरविश’ पांच विदेशी भाषाओं में अनूदित ये फिल्म अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि। रंगाश्रम पॅरेलल फिल्मस् एवं टेलेन्ट फाउन्डेशन के निर्देशक के तौर पर फिल्म मेकिंग और अभिनय के शिक्षक के रूप में ख्याति।


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