नई दिल्ली। ऐडमिशन के वक्त अब कॉलेज अपने पास किसी आवेदक के ऑरिजनल सर्टिफिकेट नहीं रख सकेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास इस तरह की कई शिकायतें आई थीं जिसके बाद यह फैसला किया गया। साथ ही नियम के मुताबिक ऐडमिशन रद्द करने पर अगर कॉलेज फीस नहीं लौटाएंगे तो उन पर दंड भी लगाया जा सकता है।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यूजीसी ने यह नियम बनाया है कि कोई भी शैक्षिक संस्थान स्टूडेंट्स के सेल्फ अटेस्टेट सर्टिफिकेट ही लेंगे, कॉलेज ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट को देखकर वेरिफाई कर सकते हैं लेकिन वेरिफाई कर उन्हें ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट वापस कर देंगे। जब दाखिला मिल जाएगा तब वह माइग्रेशन सर्टिफिकेट अपने पास रखेंगे।
जावड़ेकर ने कहा कि दूसरी दिक्कत यह आ रही थी कि अगर स्टूडेंट्स को एक कॉलेज से ऐडमिशन कैंसल करा कर दूसरी जगह ऐडमिशन लेना है तो पहले कॉलेज वाले फीस वापस नहीं करते थे। पर अब इसे लेकर भी नियम बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर ऐडमिशन क्लोज होने से कम से कम 16 दिन पहले कोई ऐडमिशन कैंसल कराएगा तो 100 फीसदी फीस वापस मिलेगी। अगर 15 दिन के भीतर बताएंगे तो 90 पर्सेंट वापस मिलेंगे।
ऐडमिशन क्लोज होने के बाद एक महीने के भीतर कैंसल करने पर भी 50 फीसदी पैसा वापस मिलेगा। इसका पालन न होने पर कॉलेज या संस्था पर दंड भी लगाया जाएगा। एचआरडी मिनिस्टर ने कहा कि संस्थानों को भी ऐडमिशन जल्दी फाइनल करना होता है ताकि सीटें खाली न रहें इसलिए क्लोज होने के एक महीने बाद कोई कैंसल करेगा तो उसे फीस वापस नहीं करेंगे। पहले भी नियम थे पर दंड का प्रावधान पहले नहीं था। जावड़ेकर ने कहा कि कॉलेज प्रोसेसिंग फीस के नाम पर काफी पैसा रख लेता था लेकिन अब 5 फीसदी ही या अधिकतम 5 हजार रुपये ही काट सकता है।
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