चुनाव अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार सुबह 11 बजे तक सिर्फ 7 फीसदी मतदान हुआ था। सुबह 10 बजे तक तो दो फीसदी से भी कम वोट पड़े थे। सुस्त वोटिंग से दिल्ली में मतदान की शुरुआत हुई।
दिल्ली एमसीडी की 272 सीटों में से 270 सीटों पर वोट डाले गए। दस साल से एमसीडी पर काबिज़ बीजेपी और दो साल से दिल्ली सरकार पर काबिज़ आम आदमी पार्टी निगम चुनाव के लिए अपनी पूरी ताक़त झोंक चुकी है। वहीं, कांग्रेस भी कई झटकों के बाद अपनी ज़मीन तलाशने में जुटी है।
एमसीडी में बीजेपी का 10 साल से कब्जा है। आम आदमी पार्टी ने लगातार बीजेपी पर एमसीडी को लेकर भ्रष्टाचार और कई आरोप लगाती रही है। इस बार आम आदमी पार्टी को काफी उम्मीदें हैं। अगर पार्टी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती तो पार्टी के लेकर अच्छी खबर होगी। लेकिन अगर पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो पार्टी को आगे दिक्कत आएंगी और अपने नेताओं के असंतुष्ट रवैये पर भी ध्यान देना होगा।
उधर, बीजेपी ने 10 सालों से सत्ता में होने के एंटी इनकंबेंसी फेक्टर का सामना करना होगा, लेकिन इसे काटने के लिए बीजेपी ने अपने माैैैजूदा पार्षदों के टिकट काट दिए। करीब 21 नाराज पार्षदों और उनके कार्यकर्ताओं ने बगावत कर मैदान में अपना दावा ठोंका है। यह साफ है कि इससे बीजेपी को नुकसान होगा।
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी पत्नी के साथ वोट दिया। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी अपना वोट डाला। इनसे पहले दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अपनी पत्नी के साथ एमसीडी चुनाव के लिए वोट डाला। 10 साल तक नगर निगम में सत्ता पर काबित भाजपा पर हमला करते हुए सिसोदिया ने कहा, ‘‘यदि लोग गंदगी, कचरे के ढेर, भ्रष्टाचार से परेशान हैं जो उन्हें उनके (भाजपा) खिलाफ मतदान करना चाहिए।’’ केंद्रीय मंत्री हषर्वर्धन ने भी अपने कृष्णा नगर निर्वाचन क्षेत्र में मतदान किया।
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