नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न सरकारी योजनाओं, मोबाइल नंबर और बैंक खातों से आधार से जोड़ने करने की तारीख शुक्रवार को 31 दिसंबर से बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दी। हालांकि, मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने कहा है कि जिन लोगों के पास आधार नंबर नहीं है, लेकिन वे बैंक में खाता खोलना चाहते हैं उन्हें यूनीक पहचान पत्र की पंजीकरण स्लिप पेश करनी होगी।
अंतरिम आदेश आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अंतिम परिणाम पर आधारित होगा। ये याचिकाएं आधार को निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताते हुए दायर की गई हैं। मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी 2018 को होगी।
हाल ही में नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि संविधान के अंतर्गत निजता का अधिकार भी मौलिक अधिकार है। आधार की वैधता को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं में दावा किया गया था कि इससे निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है।
केन्द्र ने 25 अक्तूबर को कोर्ट से कहा था कि उसने आधार से जोड़ने की अनिवार्यता की अवधि अगले साल 31 मार्च तक उन लोगों के लिये बढ़ा दी है जिनके पास 12 अंकों की बायोमेट्रिक पहचान संख्या नहीं है और वे इसके लिये पंजीकरण कराना चाहते हैं।
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