CBI में रिश्वत : आरोपी डीएसपी गिरफ्तार

साभार/ नई दिल्ली। सीबीआई ने डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। उनको जांच में गड़बड़ी करने, रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई का आरोप है कि डीएसपी ने फैब्रिकेटेड स्टेटमेंट लिया जिसमें डायरेक्टर सीबीआई से सेटिंग की बात है। इसके अलावा एक और बड़े घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीबीआई चीफ को समन करने के बाद उनसे मुलाकात कर ली है।

सीबीआई में नंबर एक बनाम नंबर दो की लड़ाई को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय खासा नाराज है। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने इस बारे में प्रधानमंत्री से मुलाकात भी की है। सीबीआई ने अपने ही डीएसपी देंवेद्र कुमार के ठिकानों पर छापेमारी कर आठ मोबाइल फोन बरामद किए हैं। आलम यह है कि दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है और एफआईआर का मामला कानूनी लड़ाई के लिए कोर्ट में भी जा सकता है।

सीबीआई ने पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र कुमार और मनोज प्रसाद, कथित बिचौलिये सोमेश प्रसाद और अन्य अज्ञात अधिकारियों पर भी मामला दर्ज किया है। उन पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात, 13 (2) और 13 (1) (डी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा उन पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात-ए भी लगाई गई है। सीबीआई ने सूचित किया कि इन धाराओं में किसी अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होती।

देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कानूनी लडाई लड़ने के लिए 1 अप्रैल 1963 को सीबीआई का गठन किया गया था एक के बाद एक सीबीआई ने शानदार काम किए चाहे वो घोटालों का पर्दाफाश हो या फिर सनसनीखेज मर्डर लेकिन साल 2018 सीबीआई के लिए काला इतिहास लेकर आया जब सीबीआई के वर्तमान स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार लोगों के खिलाफ खुद सीबीआई ने रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज कर लिया।

सीबीआई ने इस मामले मे अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार पर छापा मार कर आठ मोबाइल फोन बरामद किए है लेकिन सीबीआई इस मामले मे आरोपी नबंर एक के यहां छापेमारी क्यों नही कर पाई इस बारे में कोई अधिकारिक जवाब नही दे रही है।

एफआईआर में आरोपी नंबर एक हैं राकेश अस्थाना जो सीबीआई के नंबर दो अधिकारी हैं। इन पर मशहूर मीट कारोबारी मोइन कुरेशी के मामले में सतीश साना नाम के एक शख्स से दो करोड रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है। सीबीआई ने अपनी एफआईआर में यह भी कहा कि इस रिश्वत कांड के तार दिल्ली से लेकर दुबई तक जुड़े हुए है।

सूत्रो के मुताबिक सीबीआई के विशेष निदेशक ने भी इस एफआईआऱ पर पलटवार किया और कहा कि उनके खिलाफ ये मुकदमा सोची समझी साजिश के तहत दर्ज किया गया है क्योंकि वो खुद निदेशक आलोक वर्मा के भ्रष्टाचार के आरोपो की फेहरिस्त प्रधानमंत्री कार्यालय औऱ केन्द्रीय सर्तकता आय़ुक्त को अगस्त माह में ही दे चुके है। यह भी आरोप लगाया गया कि दो करोड रुपये की रिश्वत उन्होने नहीं सीबीआई निदेशक ने ली है।

सूत्रों ने बताया कि आरोप प्रत्यारोप के बीच सीबीआई निदेशक ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उन्हे मामले का ब्यौरा दिया लेकिन सूत्रो का यह भी कहना है कि इस मामले में सीबीआई मुख्यालय ने विशेष निदेशक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17 ए के तहत पीएमओ से मंजूरी नही ली थी जो सरकारी नौकरशाह के मामले में सीबीआई को लेनी चाहिए थी। सीबीआई का इस बाबत कहना है कि इस मामले में कानूनी सलाह ली गई थी लिहाजा परमिशन की जरूरत नही थी।

राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा के बीच लडाई का ये मायाजाल लगभग डेढ़ साल से चल रहा है जब यह कहा गया कि आलोक वर्मा अपने आदमी लेकर सीबीआई आना चाहते थे लेकिन राकेश अस्थाना के इशारे पर उन्हें नही आने दिया गया इसके बाद राकेश अस्थाना के प्रमोशन के समय सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने अस्थाना की खुली शिकायत सीवीसी को की लेकिन अस्थाना का प्रमोशन नही रुका।

पीएमओ लड़ाई यहां भी नही रुकवा पाया और उसके बाद लालू मामले को लेकर अस्थाना ने फिर आलोक वर्मा पर आरोप लगा दिया कि वो जांच में दखल दे रहे है और एक लंबी लिस्ट सीवीसी और पीएमओ को दे दी। लडाई यहां भी नही रुकी और आलोक वर्मा ने एक एक कर के अनेक बड़े मामलो की जांच राकेश अस्थाना से हटा दी और फिर अस्थाना के खिलाफ रिश्वत लेने की एफआईआऱ दर्ज हो गई।

चुनावों के दौरान भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने वाली बीजेपी के लिए ये लडाई साल 2019 में घातक साबित हो सकती है क्योकि विपक्ष इस बात को मुद्दा बना सकता है कि जिस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए मोदी सरकार लगातार दावे करती है उस भ्रष्टाचार को रोकने वाली एजेंसी सीबीआई के ही टॉप टू अधिकारी एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे है।

 


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