हंगामा खड़ा करना हमारा मकसद नहीं!
बच्चों के पोषण में मां द्वारा कराए जाने वाले स्तनपान विषय पर सामाजिक जागरूकता लाने के लिए पटना में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill and Melinda Gates foundation) द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया।
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना हमारा मकसद नहीं,
सारी कोशिशें है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
कविवर दुष्यन्त की इन्हीं चंद पंत्तियों से प्रेरणा लेकर व बच्चों के पोषण में मां के द्वारा कराए जाने वाले स्तनपान के महत्व को रेखांकित करने के लिए सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने में रेडियो की अहम भूमिका को ध्यान में रखते हुए बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा शनिवार को पटना के होटल लेमन ट्री में बिहार के सभी आकाशवाणी केंद्र, निजी रेडियो स्टेशन (FM RADIO), सामुदायिक रेडियो व मीडिया एक्टिविस्टों की एक कार्यशाला आयोजित की गयी। इस दौरान विडियो फिल्म, पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन एवं समूह चर्चा के माध्यम से स्तनपान के महत्व एवं इसके संबंध में सामुदायिक जागरूकता की जरूरत पर चर्चा की गयी।
कार्यशाला को प्रसिद्ध मीडिया एक्टिविस्ट डॉक्टर सुभाष कृष्णन ने संचालित किया। वहीं कार्यशाला को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया रेडियो के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक राजीव कुमार शुक्ला ने बताया स्तनपान जैसे बुनियादी मुद्दों को जन-जन तक पहुंचाने में मीडिया, विशेषकर रेडियो की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
ग्रामीण एवं क्षेत्रीय भाषाओं को मिलाकर रेडियो की पहुँच लगभग 99 प्रतिशत लोगों तक होती है। इसलिए सूचनाओं को सरल रूप में लोगों तक पहुंचाने की जरूरत और जिम्मेदारी दोनों अधिक हो जाती है। उन्होंने कहा कि प्राप्त सूचनाओं को समुदाय तक पहुंचाने के लिए लक्षित समुदाय की अच्छी समझ एवं सूचनाओं से होने वाले दूरगामी असर को भी ध्यान में रखने की जरूरत है।
कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से समझाते हुए पीसीआई के तकनीकी विशेषज्ञ (पोषण) विराज लक्ष्मी सारंगी ने बताया कि स्तनपान पर लोगों को जागरूक करने के लिए रेडियो जॉकी के सहयोग की आवश्यकता है। स्तनपान शिशु को बेहतर पोषण प्रदान करने के साथ निमोनिया, डायरिया एवं कुपोषण से बचाव भी करता है।
बेहतर पोषण के अभाव में बच्चे बौनापन, कम वजन एवं दुबलापन का शिकार होते हैं। जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का गाढ़ा पीला दूध एवं अगले 6 माह तक केवल स्तनपान कराने से शिशु मृत्यु दर में 22 प्रतिशत तक की कमी लायी जा सकती है। उन्होंने आंकड़ो के माध्यम से बताया कि समुचित स्तनपान के द्वारा प्रति वर्ष लगभग 8.20 लाख बच्चों की जान बचाई जा सकती है।
जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान, अगले 6 माह तक केवल स्तनपान (ऊपर से पानी भी नहीं) एवं शिशु का दो साल तक स्तनपान जारी रखने से डायरिया में 54 प्रतिशत एवं अन्य संक्रमण में 32 प्रतिशत तक कमी लायी जा सकती है। स्तनपान कराने वाली लगभग 20,000 माताओं की प्रतिवर्ष कैंसर से बचाव होती है। उन्होंने कहा कि लेंसेट की रिपोर्ट के अनुसार कुल दस मानकों में सुधार कर बौनापन (उम्र के हिसाब से ऊँचाई) में 90 प्रतिशत की कमी लायी जा सकती है जिसमें स्तनपान की भूमिका सबसे अधिक होती है।
पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रतिभागियों को स्तनपान के फायदे विषय पर विस्तार से जानकारी दी गयी। कार्यशाला में आयोजित समूह चर्चा के दौरान आकाशवाणी के पूर्व पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक राजीव कुमार शुक्ला, पीसीआई के तकनीकी विशेषज्ञ (पोषण) विराज लक्ष्मी सारंगी, रत्ना मैम, डॉक्टर किशोर सिन्हा, मीडिया एक्टिविस्ट नवीन सिंह परमार (Navin Singh parmar) व प्रशांत रंजन (Prashant Ranjan), डॉक्टर सुभाष कृष्ण, आर जे शशि, आर जे बरखा, आर जे राणा प्रताप, आर जे अभिषेक अरूण, आर जे श्वेता सुरभि, रोहित कुमार, कृपा शंकर श्रीवास्तव, कोमल श्रीवास्तव सहित कई प्रतिभागियों ने पोषण करेगा रौशन विषय पर बहुत ही सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।
कार्यशाला के समन्वयक के रूप में प्रदीप सुरीन व विक्रम का सराहनीय योगदान रहा। कार्यशाला में बिहार के सभी आकाशवाणी केंद्र, पटना के रेडियो मिर्ची, बिग एफएम पटना, रेडियो स्नेही सीवान , रेडियो सिटी पटना, रेडियो रिमझिम गोपालगंज, रेडियो मयूर छपरा, रेडियो रिसर्च मुंगेर, स्वत्व समाचार न्यूज वेब पोर्टल के अलावा कई सामुदायिक रेडियो से रेडियो जॉकी व कार्य निर्माणकर्ता, आकाशवाणी के कई वरीय अधिकारी व मीडिया एक्टिविस्ट शामिल हुए।
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