बिहार/ जीरादेई (सीवान)। तीन दिवसीय प्रवास पर आये विदेशी बौद्ध शोधकर्ताओं का दल बुधवार को वापस वियतनाम के लिए रवाना हो गया। हालांकि इससे पहले जीरादेई क्षेत्र में स्थित बौद्ध स्थलों का अवलोकन करते शोध दल मल्ल परिवारों की खोज करते मझौली राज पहुचा, जहाँ मझौली राजपरिवार के वर्तमान वारिस उमेश प्रताप मल्ल व अभिषेक प्रताप मल्ल ने विदेशी बौद्ध शोधकर्ताओं का भव्य स्वागत किया। बौद्ध शोधकर्ताओं ने बताया कि भगवान बुद्ध के बुआ का विवाह मेरे खानदान में हुआ था।
इसके बाद यह टीम मैरवा शाही परिवार से मिली जो मल्ल वंश के है। यहां भी शोधकर्ताओं के दल को अंगवस्त्र देकर त्रिभुवन प्रताप शाही व दीपक शाही ने स्वागत किया। वियतनाम की माता बोधिचिता ने बताया की भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार मल्ल राजाओं ने किया था। इसलिए जहाँ भी मल्ल वंशज है वह बौद्धों के लिये काफी प्रिय व पूज्य है।
बोधिचिता माता ने बताया की जीरादेई व सिवान के आसपास के क्षेत्र पुरातात्विक व धार्मिक दृष्ठि से काफी समृद्ध है। माता ने सिवान के अमन शांति व विकास के लिये बुद्ध से प्रार्थना की। भंते डॉ अशोक शावय ने बताया कि त्रिपिटक में दो नदी का विशेष उल्लेख है। इनमें ककुत्था व हिरण्यवती नामक दोनों नदियां सिवान में विद्यमान है। वही हुएनसांग ने जिस तीतिर स्तूप का वर्णन किया है, वह तीतिरा गांव में मौजूद है। सिवान से पूरब पपौर जो है वही प्राचीन पावा है।
बांग्लादेश के भंते सुमन्ननन्द ने बताया कि भारतीय पुरातत्व विभाग पूरा उत्खनन कराए तो बहुत कुछ स्पष्ठ हो सकता है। वापसी के क्रम में विदेशी बौद्ध शोधकर्ताओं को सिवान के वरीय उप समाहर्ता रविन्द्र चौधरी, अवर निर्वाची पदाधिकारी महाराज गंज, सिवान के अवर निर्वाचन पदधिकारी आर के कर्मशील, शोधार्थी कृष्ण कुमार सिंह, युवा चित्रकार रजनीश कुमार मौर्य, कुमार गौरव बंटी ने मधुबनी पेंटिग में भगवान बुद्ध की प्रतिमा देकर सम्मानित किया।
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