विशेष संवाददाता / गोपालगंज (बिहार)। रविवार की सुबह हुई बारिश में हथुआ (Hathua) का अनुमंडलीय अस्पताल का मुख्य द्वार जलमग्न हो गया है। इससे मरीजों को आवाजाही में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इतना ही नहीं रास्ता बाधित व जलमग्न होने के कारण महिला मरीजों को वापस जाते हुए भी देखा गया।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि नगरपालिका, अस्पताल प्रबंधन और संबंधित अधिकारियों की लापरवाहियों के कारण हथुआ क्षेत्र के लगभग सभी नाले व जल निकासी के रास्ते बंद हैं, जिसके कारण यहां की जनता को हर साल बारिश के दिनों में इस तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। बता दें कि राज्य सरकार ने हथुआ को शहरी क्षेत्र घोषित कर दिया है लेकिन शहरों जैसी यहां कोई सुविधा नहीं है। स्थानीय समाजसेवकों का कहना है कि बिहार सरकार ने जमीनों की कीमत बढ़ाने व लगान, टैक्स आदि वसूलने के लिए हथुआ को शहरी क्षेत्र घोषित कर जनता का खून चूस रही है।
बताया जाता है कि दिनों दिन जनसमस्याएं बढ़ती जा रही है लेकिन सरकार या संबंधित अधिकारियों के कान पर जूँ तक नहीं रेंगती, आखिर कब तक यहां की जनता सरकारी अपेक्षाओं का शिकार होती रहेगी। इस मुद्दे पर प्रखंड विकास पदाधिकारी रवि कुमार से बात करने पर उन्होंने बताया कि मैं संबंधित अधिकारी को बता देता हूं।
यहां सवाल यह उठता है कि जब हर साल इस तरह की समस्याएं होती है तो अस्पताल प्रबंधन व संबंधित विभाग मानसून पूर्व जलनिकासी का रास्ता क्यों नहीं बनाते? रविवार को तकरीबन 2 से 3 घंटे की बारिश का असर पूरा दिन देखा गया। अस्पताल की सुरक्षा दीवारों के किनारे किनारे करीब एक फ़ीट बरसाती पानी जमा गया है, जो कि डेंगू और बरसाती बीमारियों का संकेत है। इस कड़ी में एक और दिलचपस बात छह है कि हथुआ अनुमंडल की भोली भाली जनता को विभागीय अधिकारी वर्षो से मूर्ख बना रहे हैं। क्षेत्र की शिकायत करने वाली जनता को सरकारी अधिकारी यह कह कर चलता कर देते हैं कि उक्त कार्य मेरे विभाग का नहीं है।
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